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पर्यावरण पर आवाज उठाने वालों पर UAPA के तहत क्यों हुई थी कार्रवाई?

आखिर आतंकवाद कानून का इस्तेमाल करते हुए पुलिस ने पर्यावरण के लिए काम करने वाली वेबसाइट को नोटिस क्यों भेजा? 

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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UAPA का इस्तेमाल करते हुए पुलिस ने पर्यावरण के लिए काम करने वाली वेबसाइट को नोटिस क्यों भेजा? 
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UAPA का इस्तेमाल करते हुए पुलिस ने पर्यावरण के लिए काम करने वाली वेबसाइट को नोटिस क्यों भेजा? 
फोटो: क्विंट हिंदी 

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पिछले साल न्यू यॉर्क में UN के क्लाइमेट समिट के दौरान पर्यावरण पर बात करते हुए स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थन्बर्ग इमोशनल स्पीच पढ़ते हुए रो पड़ी थीं., और वहां मौजूद वर्ल्ड लीडर्स से पूछ बैठी, ' जब हम एक मास एक्सटिंक्शन की कगार पर हैं तो आप सबको पैसे की पड़ी हुई है, हाऊ डेयर यू'.

16 साल की ग्रेटा ग्लोबल लेवल पर क्लाइमेट चेंज के खिलाफ कैंपेन कर रही हैं. अब इसी कैंपेन से जुड़ी एक इंडियन आर्गेनाईजेशन FridaysforFuture.in की वेबसाइट को UAPA के तहत नोटिस भेज कर दिल्ली पुलिस ने ब्लॉक कर दिया था. जब मामला सामने आया और सोशल मीडिया पर लोग सवाल खड़ने करने लगे तो दिल्ली पुलिस ने इसे गलती बताते हुए पल्ला झाड़ लिया और वेबसाइट को अनब्लॉक कर दिया गया. वहीं साइबर क्राइम सेल ने जो नोटिस जारी किया था, उसे भी वापस ले लिया गया. लेकिन इस सबके बाद वेबसाइट से जुड़े स्टूडेंट्स जो एक पर्यावरण कानून को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, वो काफी डर गए हैं.

आखिर ये कौन सा कानून है जिसके लिए प्रोटेस्ट हुए, और जिन्हें खामोश करने के लिए पुलिस को आतंकवाद के कानून का सहारा लेना पड़ा? इसी पर आज बात करेंगे इस पॉडकास्ट में.

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