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किसानों की ललकार, सरकार के आरोप- आंदोलन की बड़ी बातें

पॉडकास्ट में सुनिए किसानों को जो पूछ रहे हैं कि जो कानून किसान के फायदे का ही नहीं उसे सरकार हम पर क्यों थोप रही? 

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
Published:
किसान: ‘जो कानून किसान के फायदे का ही नहीं उसे सरकार हम पर क्यों थोप रही है?’
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किसान: ‘जो कानून किसान के फायदे का ही नहीं उसे सरकार हम पर क्यों थोप रही है?’
फोटो: क्विंट हिंदी/इरम गौर 

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रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो चुका है. 26 नवंबर को दिल्ली चलो आंदोलन से इस प्रदर्शन की शुरुआत हुई और अब किसान पूरी दिल्ली को घेरने की तैयारी में हैं. किसान किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उनकी मांग है कि बिना किसी शर्त केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लेकर उनसे बातचीत करे.

पिछले करीब 6 दिनों में किसानों ने दिल्ली आने के लिए काफी कुछ झेला. कई किसान लाठियां खाकर दिल्ली पहुंचे तो सैकड़ों ने पानी की ठंडी बौझारों को झेला. वहीं आंसू गैस के गोलों ने भी किसानों की आंखों को दर्द दिया. कई प्रदर्शनकारी किसानों पर संगीन धाराओं में मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं. अब कई किसान संगठन दिल्ली के बुराड़ी में निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन कर रहे हैं और अब वहीं डटे रहने की बात कर रहे हैं.

अब केंद्र सरकार की बात करें तो एक तरफ तो गृहमंत्री अमित शाह अपने बाकी नेताओं के अलग ये कह रहे हैं कि ये आंदोलन राजनीतिक नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष पर हमला बोलते हुए कह रहे हैं कि कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री ने विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया. आज के इस पॉडकास्ट में किसान आंदोलन को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ उसे आसान भाषा में आपको समझाएंगे.

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