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हैदराबाद गैंगरेप और मर्डर केस में अब तक का सबसे बड़ा डेवलपमेंट हुआ. सुबह सवेरे खबर आई कि हैदराबाद पुलिस ने केस के चारों आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया है. जैसे ही ये खबर आई तो बॉलीवुड से लेकर पॉलिटिकल हस्तियां वाह-वाह के सुर में कसीदे पढ़ने लगे. ‘आरोपी’ और ‘दोषी’ के बीच का फर्क भूलकर लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि हैदराबाद की उस वेटनरी डॉक्टर की आत्मा को शांति मिली.
लेकिन दूसरी तरफ पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे कि पुलिस की गिरफ्त में होने के बावजूद ये आरोपी भागने की कोशिश कैसे कर पाए और अगर भागे भी तो सारे के सारे आरोपियों को कैसे मार गिराया गया. पुलिस ने जो एनकाउंटर किया है, उसको लेकर कई सवाल हैं, जिनके जवाब तेलंगाना पुलिस को देने होंगे.
आरोपियों को इस तरह से एनकाउंटर में मारे जाने के बाद आरोपियों के मानवाधिकार को लेकर सवाल उठ रहे हैं. नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने मामले का संज्ञान लिया है. कई सारे लीगल एक्सपर्ट भी इस मुठभेड़ पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन कई भी ये मान रहे हैं कि ‘जो भी हुआ सही हुआ’ और ‘ऐसा ही होना चाहिए’. ऐसे लोग कानून के राज और न्यायिक प्रक्रिया की अहमियत नहीं समझ रहे हैं. बिना ट्रायल किए इंसाफ कर देने वाला रवैया कभी स्वस्थ समाज नहीं बना सकता.
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