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उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर के एक लॉ कालेज की स्टूडेंट ने बीते 24 अगस्त को बीजेपी के पूर्व सांसद चिन्मयानंद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. चिन्मयानंद उस कॉलेज की प्रबंधन कमेटी का अध्यक्ष है, जहां लड़की पढ़ती थी.
लड़की ने दिल्ली के एक थाने में केस दर्ज करवाया, क्योंकि उसे यूपी पुलिस पर यकीन नहीं था. मामला यूपी ट्रांसफर कर दिया गया. लेकिन यूपी पुलिस ने अरेस्ट करना तो दूर चिन्मयानंद से पूछताछ तक नहीं की.
मामला सुर्खियों में आया तो सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. देश की सबसे बड़ी अदालत ने यूपी सरकार को विशेष जांच दल यानी एसआईटी बनाने का निर्देश दिया. 3 सितंबर को मामला एसआईटी को सौंपा गया. यानी लड़की का वीडियो सामने आने के 10 दिन बाद.
लेकिन पुलिस ने चिन्मयानंद के खिलाफ जो एफआईआर दर्ज की उसमें रेप का चार्ज नहीं लगाया. आखिरकार, लड़की ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया कि चिन्मयानंद ने उसका रेप किया और एक साल तक उसका शारीरिक शोषण करता रहा. इसके बावजूद शाहजहांपुर पुलिस चिन्मयानंद के खिलाप रेप का केस दर्ज नहीं कर रही है.
इस पूरे घटनाक्रम से एक सवाल उठता है कि जब नेताओं के खिलाफ गंभीर आरोप लगते हैं तो सिस्टम को कौन सा सांप सूंघ जाता है? आज बिग स्टोरी पॉडकास्ट में बात करेंगे चिन्मयानन्द केस की.
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