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नरेटर और साउंड डिजाइनर : फ़बेहा सय्यद
एडिटर: शैली वालिया
म्यूजिक : बिग बैंग फज
भारत के ‘चार्ल्स डिकन्स’ और 'उपन्यास सम्राट' कहलाए जाने वाले मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी में हुआ और तब उनका नाम धनपत राय श्रीवास्तव रखा गया. प्रेमचंद ने ना सिर्फ 'शार्ट स्टोरी' की साहित्यक प्रथा को बढ़ावा दिया, बल्कि उर्दू और हिंदी में 300 के करीब कहानियां भी लिखी. स्कॉलर्स का मानना है कि उनकी कहानियों को सिर्फ फिक्शन कहना सही नहीं है, बल्कि प्रेमचंद की रचनाएं सोशल कमेंट्री के तौर पर पढ़ी जायें तो आजादी से पहले के भारतीय समाज को हम बेहतर ढंग से समझ पाएंगे. उनकी ज्यादातर कहानियों में सामाजिक अन्याय और जातिगत असमानताओं का गरीब पर पढ़ने वाला असर दिखाया है.
इस खास पॉडकास्ट में, हम आपके लिए लाए हैं प्रेमचंद की शार्ट स्टोरी, 'कफ़न' (1936 ). ये कहानी है एक ऐसे गरीब किसान बाप-बेटे की जिनके पास घर की बहू का अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं होते. लेकिन किसी तरह वो पैसे जुटा ते हैं, और इकट्ठा होने पर उन पैसों से दावत उड़ाते हैं. कफ़न के लिए जमा पैसे से भूखा किसान या तो पेट भर ले या घर की औरत का अंतिम संस्कार करे. इसी तरह की चॉइसेस, भारत के गरीब के सामने आज भी रोजाना आती रहती हैं.
अफसोस, ये कहानी समाज को आइना दिखाती है कि छपने के आठ दशक बाद भी 'कफ़न' सुन कर आज के किसान का तसव्वुर जेहन में आता है, जिसके हालात कहानी के मुख्य पात्र - घीसू और माधव से ज्यादा अलग नहीं है.
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