advertisement
पिछले कुछ सालों से न्यूज चैनलों पर चल रही बहसों में जिस टॉक्सिसिटी जहरीलेपन की बात होती आई है. वो 12 अगस्त को सोशल मीडिया पर अपने चरम पर दिखी. ये जहरीलापन किस कदर नुकसान पहुंचाता है, दिमाग और सेहत पर इसका असर होता है इसकी भी खूब बात हुई. दरअसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव त्यागी का 12 अगस्त को निधन हो गया. निधन के कुछ मिनटों पहले वो एक नेशनल न्यूज चैनल पर चल रही डिबेट में अपनी पार्टी का पक्ष रख रहे थे. ज्यादातर डिबेट्स की तरह इस डिबेट में भी एक दूसरे पर आरोप लग रहे थे, गरमा-गरमी चल रही थी, पर्सनल अटैक तक हो रहे थे. बताया जा रहा है कि इस दौरान ही राजीव त्यागी को सीने में तकलीफ होनी शुरू हुई. कुछ देर बाद वो बेहोश हो गए गाजियाबाद के यशोदा हॉस्पिटल उन्हें ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
मैंने महज एक मिनट में ये सारी बात आपको बता दी लेकिन ये बात न्यूज चैनलों के लाखों घंटों की बहस को अपने अंदर समेटे हुए है. इस मौत पर सवाल उठ रहे हैं. ये भी पूछा जा रहा है क्या न्यूज चैनल के एंकरों और एडिटर्स तक को फिर से जर्नलिज्म की बुनियादी तालिम की जरूरत है? यही आज के के पॉडकास्ट का विषय भी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined