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Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Podcast Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उर्दूनामा: सुनिए उर्दू में लिखी गई ‘फेमिनिस्ट शायरी’

उर्दूनामा: सुनिए उर्दू में लिखी गई ‘फेमिनिस्ट शायरी’

आज इस ख़ास एपिसोड में सुनिए उर्दू की महिला शायरों की शायरी

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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आज उर्दूनामा के इस ख़ास एपिसोड में सुनिए उर्दू की महिला शायरों की शायरी
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आज उर्दूनामा के इस ख़ास एपिसोड में सुनिए उर्दू की महिला शायरों की शायरी
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हमारा अलमिया ये है

की अपनी राह की दीवार हम खुद ही हैं

ये औरत है

की जो औरत के हक़ में अब भी गूंगी है

ये औरत है

ये पंक्तियां हैं उर्दू में शायरी करने वाली इशरत आफरीन की नज़्म 'अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो' से. इन लाइनों में फेमिनिज्म की एक शक्ल पेश की गई है जिसके अनुसार हालात बेहतर तब ज़्यादा होते हैं जब औरत एक दूसरी औरत के हक के लिए अपनी आवाज़ उठाए.

उर्दू में शायरी के ज़्यादातर विषय औरतों (जिन्हें महबूब का नाम देकर, बिना जेंडर बताए शेर लिखे जाते हैं) की खूबसूरती और इश्क़ के हवाले से पुरुष शायर करते हैं. लेकिन जब उर्दू में शायरी कहने वाली औरतों ने कलम उठाया, तो न सिर्फ अपने हक़ और अपने साथ होने वाली नाइंसाफी की दास्तान लिखी बल्कि अपनी ख्वाहिशें, कामनाओं, ख़्वाबों के बारे में भी खूब लिखा.

आज उर्दूनामा के इस ख़ास एपिसोड में सुनिए उर्दू की महिला शायरों की शायरी. अदा जाफरी, फहमीदा रियाज़, ज़ेहरा निगाह और परवीन शाकिर जैसी महिला शायरों के दृष्टिकोण से समझिये, उर्दू में कही गई 'फेमिनिस्ट पोएट्री'.

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