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उर्दु शायरी और ‘डिसेंट’: समझिए ‘एहतिजाज’ के मायने 

उर्दुनामा के इस एपिसोड में क्विंट की फबेहा सय्यद से सुनिए और समझिये एहतिजाज के मायने.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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उर्दुनामा के इस एपिसोड में क्विंट की फबेहा सय्यद से सुनिए और समझिये एहतिजाज के मायने.
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उर्दुनामा के इस एपिसोड में क्विंट की फबेहा सय्यद से सुनिए और समझिये एहतिजाज के मायने.
फोटो: श्रुति माथुर/क्विंट हिंदी 

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होस्ट, राइटर और साउंड डिजाइनर: फ़बेहा सय्यद
एडिटर: शैली वालिया
म्यूजिक: बिग बैंग फज

बहुत बर्बाद हैं लेकिन सदा-ए-इंक़लाब आए

वहीं से वो पुकार उठेगा जो ज़र्रा जहां होगा

अली सरदार जाफरी के इस शेर में व्यक्तिगत संघर्ष की ताकत की बात कही गई है की समाज को बदलने की जब बात आती है, तो हर वो इंसान जो इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता है, वो अपनी आवाज उठाता है. और उस आवाज उठाने को कहते हैं 'एहतिजाज'. उर्दु शायरी में भी 'डिसेंट' की आजादी पर शायरों ने खूब लिखा है.

उर्दुनामा के इस एपिसोड में क्विंट की फबेहा सय्यद से सुनिए और समझिये एहतिजाज के मायने. और सुनिए फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और किश्वर नाहिद की 'रेसिस्टेन्स पोएट्री' के कुछ नायाब अशआर. इसके अलावा सुनिए एक्टिविस्ट और शायरा, नबिया खान, से उनकी नज़्म 'आएगा इंक़लाब पहन के चूड़ी, बिंदी और हिजाब'.

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