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पुरानी दिल्ली में हुए अग्निकांड में 43 मौतों का गुनहगार कौन?

रविवार को पुरानी दिल्ली में हुए अग्निकांड में चली गई 43 लोगों की जान

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
Published:
पुरानी दिल्ली में चल रही इसी तरह की अवैध फैक्ट्रियों और उनके कर्मचारियों की समस्याओं को समझने के लिए हमने बात की सोशल एक्टिविस्ट इर्तिजा कुरैशी से.
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पुरानी दिल्ली में चल रही इसी तरह की अवैध फैक्ट्रियों और उनके कर्मचारियों की समस्याओं को समझने के लिए हमने बात की सोशल एक्टिविस्ट इर्तिजा कुरैशी से.
फोटो: क्विंट हिंदी 

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पुरानी दिल्ली की तंग गलियां काफी मशहूर हैं. ये गलियां अपने में इतिहास समेटे हुए हैं. फिलहाल की बात करें तो पुरानी दिल्ली के रिहायशी इलाकों की तंग गलियों में कई कमर्शियल एक्टिविटीज भी हो रही हैं. कई ऐसी फैक्ट्रीज भी हैं, जिनमें काम करने वाले कारीगर अपने परिवारों के साथ यहीं रहते भी हैं.

रिहायशी इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियों और फायर सेफ्टी इंतजाम न होने जैसी लापरवाहियों की वजह से रविवार को पुरानी दिल्ली के झांसी रोड के अनाज मंडी इलाके में तंग गलियों में बनी एक छह मंजिला बिल्डिंग में सुबह करीब साढ़े चार बजे आग लग गई. इस बिल्डिंग में अवैध रूप से बैग बनाने और पैकिंग करने की फैक्ट्री चलती थी.

जिस वक्त आग लगी, उस वक्त फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर सो रहे थे. आग बुझाने के लिए 30 फायर ब्रिगेड्स घटना स्थल पर पहुंची. लेकिन तंग गली होने की वजह से दमकलकर्मियों को बड़ी मुश्किलें आईं. इस बचाव अभियान में 150 दमकल कर्मी लगे थे, जिन्होंने बिल्डिंग में फंसे 63 लोगों को इमारत से बाहर निकाल लिया. लेकिन इस भीषण अग्निकांड में 43 लोगों की मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने की वजह से हुई.

तंग जगह होने की वजह से आग के बीच फंसे लोगों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल सका और दम घुटने से उनकी मौत हो गई. ये अग्निकांड साफ तौर पर प्रशासनिक लापरवाहियों का नतीजा है. पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में आखिर कैसे बगैर नियमों का पालन किए अवैध रूप से फैक्टरियां चल रही हैं? इतना ही नहीं, इन फैक्ट्रीज में काम करने वाले कर्मचारियों को फैक्ट्री के अंदर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

पुरानी दिल्ली में चल रही इसी तरह की अवैध फैक्ट्रियों और उनके कर्मचारियों की समस्याओं को समझने के लिए सुनिए आज का बिग स्टोरी पॉडकास्ट.

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