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मिस्र की महारानी क्लियोपैट्रा अपनी चतुरता,सुंदरता,कामुकता के अलावा बड़े-बड़े खूबसूरत इवेंटआयोजित करने के लिए मशहूर थी. उन्हें विश्व का पहला इवेंट मैनेजर भी माना जाता है. कहते है कि वो उन इवेंट्स में नए प्रेमियों की तलाश में होती थी. इससे उन्हें अपने असली जीवन से कुछ समय के लिए छुटकारा मिल जाता था.
खैर,कुछ समय के लिए हकीकत से दूर जाने में कोई बुराई नहीं है,पर अगर उसकी आदत लग जाए तो वो किसी को भी बर्बाद कर सकती है.
अब जरा सोचिए की अगर किसी देश को ऐसी आदत लग जाए? मसलन,एक ऐसा देश जहां लोग हकीकत से ज्यादा मजेदार इवेंट देखना पसंद करने लगें, जहां मीडिया लोगों को इन्फॉर्म नहीं, एंटरटेन करे, और जहां कि राजनीति इस बात पर आधारित हो कि कौन सी पार्टी कितना बढ़िया इवेंट आयोजित करके जनता को बेवकूफ बना सकती है. सोचिये उस देश का क्या होगा?
अगर हां, तो आपके पास दो तरीके हैं. पहला और सरल की आप भी ज्यादातर लोगों की तरह उन इवेंट्स मे शामिल हों और उसके मजे लेते रहें या दूसरा और कठिन कि आप उस जाल से बाहर आएं और आवाज उठाएं. जिस भी तरह से आप बता सकते हैं लोगों को इस बारे मे बताएं. लेकिन इसमें रिस्क है कि आप लतियाए भी जा सकते हैं और कई दोस्त भी गंवा सकते हैं. तो आप अपने हिसाब से तय कर लें.
और अगर आपको ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है, तो आप एक बढ़िया सूट सिलवाएं (अगर आप उन लोगों मे से हैं,जिनके पास अब भी नौकरी है, वरना किराए का भी चलेगा) और नए इवेंट्स में शरीक होने के लिए तैयार हो जाइए, क्योंकि अब इवेंट से राजनीति और राजनीति से इवेंट का ये गठजोड़ किसी एक देश की ही नहीं पूरे विश्व की हकीकत है.
(लेखक ने माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से संबंधित एक कॉलेज से बीए मास कम्युनिकेशन किया है. मुंबई मे पढ़ते समय उन्होंने कई बड़े चैनल जैसे ABP न्यूज, ET Now मे इंटर्नशिप की और साथ ही साथ कई प्रोडक्शन हाउस में स्क्रिप्ट राइटिंग, कंटेंट राइटिंग जैसे कामों में भी हाथ आजमाया. लेखक ने IIMC से अंग्रेजी पत्रकारिता की बारीकियां सीखी हैं.)
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