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भारत में कोरोना की दूसरी लहर अपने पीछे तबाही का मंजर छोड़ते जा रही है. हर दूसरे आदमी ने इसमें अपना कुछ खोया है और उसके पास बांटने को दुखों की अपनी कहानी है. दूसरी लहर के विकराल रूप से सबसे अच्छे से वाकिफ है हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स.
उनके सहयोग एवं शहादत को सम्मानित करने के लिए 'द क्विंट' उनमें से कुछ हेल्थ वर्करों की कहानी आपके सामने ला रहा है ,जिन्होंने अपनी जान हम सबको कोरोना महामारी से बचाते हुए गंवा दी.
अनस मुजाहिदजानने वालों के अनुसार 26 वर्षीय अनस मुजाहिद शांत एवं शर्मिला लेकिन हंसमुख और मेहनती युवा डॉक्टर था. 9 मई को कोविड-19 से जान गवाने वाला अनस अबतक का सबसे युवा डॉक्टर था.
अनस इफ्तारी के लिए अपने परिवार से मिलने घर गया था. आते समय उसे फीवर जैसा लगा तो उसने अपना कोविड टेस्ट करवा लिया.RT-PCR टेस्ट में पॉजिटिव आया. उसके बाद से उसकी हालत तेजी से खराब होती रही. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन दुखद रूप से उसने पॉजिटिव पाए जाने के कुछ ही घंटे के अंदर दम तोड़ दिया .उसकी पोस्टिंग दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल के DB-GYN वार्ड में थी जहां वह मरने के 1 दिन पहले तक मरीजों की सेवा में लगा हुआ था. अपने पीछे वह माता-पिता और चार भाई-बहनों को छोड़ गया.
"प्लीज एव्रीवन..प्लीज टेक केयर"
डॉ. डिंपल अरोड़ा चावला अपने अंतिम वीडियो में यह बात कमजोर और व्याकुल आवाज में कहती सुनी जा सकती हैं. डॉक्टर डिंपल अरोड़ा चावला, जिन्हें लोग प्यार से दीपिका भी बुलाते थे ,ने अपने अंतिम दिनों में लोगों को अपनी कहानी बताने और महामारी की संगीनता समझाने के लिए वीडियो बनाया था. मरने के बाद उनके पति डॉ. रवीश चावला ने वह वीडियो पोस्ट किया .
11 अप्रैल 2021 को जब कोरोना पॉजिटिव टेस्ट हुई तब डिंपल अपने दूसरे बच्चे के लिए गर्भवती थी. अपने अजन्मे बच्चे को खोने के अगले दिन, 20 अप्रैल को डिंपल ने भी अंतिम सांस ली. मदर्स डे को रमेश चावला ने अपनी गुजर चुकी पत्नी को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा- "वह मदरहुड के लिए पूरी तरह समर्पित थी".
डॉ. जगदीश मिश्रा कि कोविड से लड़ते हुए दर्दनाक मौत 25 अप्रैल को हो गई, जब उन्हें उसी हॉस्पिटल में वेंटिलेटर बेड नहीं मिला जिसमें उन्होंने 50 साल तक सेवा दी थी. 85 वर्षीय डॉ. मिश्रा ने प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरु हॉस्पिटल में अपनी जिंदगी के 5 दशक सेवा में गुजार दिया. लेकिन जब 13 अप्रैल को उन्हें कोविड हुआ और उनकी हालत तेजी से खराब होने लगी तो उनके लिए उसी अस्पताल में कोई भी वेंटिलेटर बेड मौजूद नहीं था, क्योंकि कैपेसिटी फुल चुकी थी.
इस वेटरन डॉक्टर की मौत हॉस्पिटल के फ्लोर पर हुई जहां उनकी उम्र दराज पत्नी डॉ. रामा मिश्रा उनके साथ थी. अब वह भी कोविड संक्रमित हो चुकी हैं.
डॉ अग्रवाल एक फिजीशियन और कार्डियोलॉजिस्ट थे जिन्होंने अपने जिंदगी के अंतिम 2 साल देश की तरफ से कोविड महामारी से लड़ते हुए गुजार दिए. उन्होंने वीडियोज और वेबीनार के माध्यम से घंटो लोगों से बातचीत की. वहां वह उनके भय, गलत सूचनाओं को दूर करते तथा लोगों की चिंताओं और तमाम सवालों का जवाब देते थे. यह काम वह अपने अंतिम दिनों तक करते रहे जब वह खुद कोविड निमोनिया से लड़ रहे थे.
अपने अंतिम वीडियो में उन्होंने कहा था "मुझे कोविड निमोनिया है ,जो काफी तेजी से फैलता है .लेकिन तब भी राजकपूर की बात याद रखो- "पिक्चर अभी बाकी है.. शो मस्ट गो ऑन". अपने पीछे वह अपनी पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं.
अपने अजन्मे बच्चे को खोने के अगले ही दिन 27 अप्रैल को कोविड के कारण 25 वर्षीय डॉ महा बशीर की मौत हो गई. प्रेग्नेंट होने के बावजूद महा बेंगलुरु के कनाचूर मेडिकल कॉलेज में काम करती रही, जहां वह अपना मास्टर्स कर रही थी. केरला से आने वाली महा UAE में पली-बढ़ी .उसके बाद अपने मेडिकल कैरियर के लिए वह बेंगलुरु से शिफ्ट हो गई.
UAE में उनके स्कूल के शिक्षकों ने गल्फ न्यूज़ में दिए अपने श्रद्धांजलि में लिखा कि वह एक ब्राइट स्टूडेंट थी और 'हेड गर्ल कोविड वॉरियर बन गयी".महा अपने पीछे पति डॉ. सवाफर को छोड़ गई हैं जिनसे उनकी शादी मात्र 8 महीने पहले ही हुई थी.
डॉ मनीषा जाधव का फेसबुक पर अंतिम फेयरवेल पोस्ट था "शायद यह अंतिम गुड मॉर्निंग है. शायद मैं आपसे फिर इस प्लेटफार्म पर ना मिलूं. अपना ध्यान रखना आप सब. शरीर मरता है आत्मा नहीं. आत्मा नश्वर है."
51 वर्षीय मनीषा मुंबई के सेवरी टीबी हॉस्पिटल में टीबी स्पेशलिस्ट और चीफ मेडिकल ऑफिसर थी. उनकी मृत्यु कोविड के कारण 19 मई को हो गई. अस्पताल में वह क्लीनिकल और प्रशासनिक दोनों ड्यूटी संभाल रही थी. मार्च 2020 से ही डॉ.मनीषा यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही थी कि उनके स्टाफ को खाना और ट्रेवल फैसिलिटी मिलने के साथ-साथ सुरक्षा उपकरण मिलते रहे. अपने पीछे वह अपने पति और अपने बेटे को छोड़ गई हैं.
" जिन को सबसे ज्यादा जरूरत है उनकी सेवा करना ही अकेला काम है जो मैं करना चाहता हूं"
यह शब्द हैं डॉ. प्रदीप बिजलवान के जिन्होंने अपनी जिंदगी वंचितों की सेवा में गुजार दी और यह वह अंतिम दिनों तक करते रहे .महामारी में वह सोशल एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के साथ मिलकर स्ट्रीट मेडिकल प्रोग्राम के कोविड क्लीनिक में काम करते रहे. लेकिन उनकी खुद की दुखद मृत्यु कोविड-19 संक्रमण के कारण तब हो गई जब अप्रैल में उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिला. हर्ष मंदिर ने अपने दोस्त के लिए ट्विटर पर लिखा "एक रेयर डॉक्टर जिसे पैसों में दिलचस्पी नहीं थी. उसका बस एक ही सपना था जरूरतमंदों की सेवा. कई सालों तक वह हमारे होमलेस स्ट्रीट वर्क में काम करते रहे. अंत तक वह बेघरों के लिए कोविड-19 क्लीनिक चला रहे थे".
डॉ राजेंद्र कपिला एक प्रसिद्ध संक्रामक बीमारी विशेषज्ञ और न्यू जर्सी मेडिकल स्कूल,Rutger में प्रोफेसर थे. अपने परिवार की देखभाल के लिए वह मार्च के अंतिम सप्ताह में भारत आए थे. उनको अप्रैल के शुरूआत में ही वापस अमेरिका चले जाना था लेकिन वह खुद कोरोना संक्रमित हो गए और उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. 81 वर्षीय डॉ. कपिला डायबिटीज के मरीज थे और कुछ ही दिनों में उनकी मौत हो गई.
न्यू जर्सी मेडिकल कॉलेज ने अपनी श्रद्धांजलि में लिखा "50 वर्षों से डॉ कपिल न्यू जर्सी मेडिकल कॉलेज के फाउंडेशन पिलर रहे".
30 वर्षीय डॉ शुभम उपाध्याय बुंदेलखंड मेडिकल हॉस्पिटल में महीनों से कोविड मरीजों की देखभाल कर रहे थे. वहीं पर वह खुद भी संक्रमित हो गए. 1 महीने तक कोविड से जंग के बाद 25 नवंबर को उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु फेफड़ों में 100% संक्रमण हो जाने के कारण हुई. आने वाले चक्रवात के कारण उनको 'लंग ट्रांसप्लांट' के लिए चेन्नई एयर लिफ्ट नहीं किया जा सका, जिससे शायद उनकी जान बच जाती.
डॉ विवेक राय कोविड पॉजिटिव नहीं थे लेकिन आखिरकार उनकी मौत कोविड के कारण ही हुई. विवेक की मृत्यु 30 अप्रैल को आत्महत्या से हुई. 35 वर्षीय विवेक फैमिली मेडिसिन में DNM के छात्र थे और उनकी पोस्टिंग मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के ICU में हो रखी थी. वहां वह अपने अंतिम दिनों तक कोविड मरीजों की सेवा करते रहे.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ रवि वानखेडे ने विवेक की मौत का कारण सिस्टम के फैल्योर को बताया. "वह 1 महीने से कोविड ड्यूटी पर था जहां वह हर दिन ICU मरीजों से डील कर रहा था. वह हर दिन 7 से 8 मरीजों को CPR और ACLS प्रोवाइड कराता था, जिनमें से कई नहीं बच पाते थे. उसने खुदकुशी का यह कठिन निर्णय इसलिए लिया ताकि वह अपने सामने मरते लोगों के कष्टों की याद को जिंदगी भर ना ढोये."
उनके आत्महत्या का स्पष्ट कारण अभी भी पता नहीं चला है .अपने पीछे वह अपनी पत्नी और मां बाप को छोड़ गये है.
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