advertisement
चार सालों से लगातार देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर कोरोना का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है. संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में शहर देश में चौथे नंबर पर है. शहर में 2 अप्रैल तक कुल 75 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं. कर्फ्यू के बावजूद मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
खजराना के एक ही घर में 9 सदस्य संक्रमित मिले हैं. इनमें 3 साल का एक बच्चा भी शामिल है. 25 मार्च तक शहर में एक भी पॉजिटिव केस नहीं था. ज्यादातर मरीजों की कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं है. उसके बाद लगातार बढ़ती मरीजों की संख्या की वजह क्या हो सकती है, एक नजर डालते हैं.
इंदौर शहर हमेशा से ही उत्सवप्रेमी रहा है और इस उत्सव का केंद्र शहर की ऐतिहासिक इमारत राजवाड़ा रही है. वर्ल्डकप में भारत की जीत हो या रंगपंचमी की गेर, शहरवासी राजवाड़ा पर इकट्ठे हो जाते हैं.
वीडियो बाहर आने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए जुलूस में शामिल लोगों के लाइसेंस रद्द किए. इसके बाद हुई एक घटना में सबसे स्वच्छ शहर के नागरिकों का नया चेहरा देखने को मिला. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने कुछ सबसे प्रभावित इलाके चिन्हित किए. इन इलाकों में घर-घर जाकर जांच करने और क्वारंटीन करने का काम किया जाना था, लेकिन जब रानीपुरा क्षेत्र में डॉक्टरों की टीम पहुंची तो उनके साथ बदसलूकी की गई. एक वीडियो में डॉक्टरों की टीम प्रशासन से कहती हुई दिख रही है कि रहवासी सहयोग नहीं कर रहे.
25 मार्च से देश को पूरी तरह लॉकडॉउन कर दिया गया. सिर्फ जरूरी सामान में ढील दी गई. इंदौर की जनता यहां भी नहीं मानी. सब्जी और दूध के लिए भीड़ जुटने लगी. सोशल डिस्टेंसिंग की सारी बातें धरी की धरी रह गईं. नतीजतन शहर में कर्फ्यू घोषित करना पड़ा.
शहर में फिलहाल 600 से ज्यादा लोगों को क्वॉरंटीन किया गया है. 4 लोगों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री ने लोकेश जाटव की जगह मनीष सिंह को इंदौर कलेक्टर बनाया हैं. मनीष सिंह इंदौर निगमायुक्त रह चुके हैं और उनसे उम्मीद है कि वे स्थिति से सख्ती से निपटेंगे.
(आबिद खान पत्रकारिता के छात्र हैं. ये भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)