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आईपीएल का 10वां सीजन कई बड़ी चीजों के लिए याद किया जाएगा- लीग चरण की दो बेस्ट टीमें फाइनल में पहुंची, दो टीमें आखिरी बार टूर्नामेंट में कर रहीं थी शिरकत, वॉर्नर का लगातार अच्छा प्रदर्शन, धोनी का फिनिशिंग स्टाइल, कवर्स के ऊपर से कोहली का छक्का, अफगानी खिलाड़ियों का कमाल, कुछ कमाल के फील्डिंग प्रदर्शन और भी बहुत कुछ.
मेरी नजरों में ये चार चीजें थी जो इस आईपीएल में सबसे शानदार रहीं
आईपीएल में टॉप-10 गेंदबाजों में 7 तेज गेंदबाज रहे. अगर पिछले सीजनों पर नजर डाली जाए तो हमेशा स्पिनर्स का इस टूर्नामेंट में दबदबा रहा लेकिन इस बार चीजें बदल गईं.
अप्रैल-मई तक पिचें थोड़ी सूखी और धीमी हो जाती हैं, ऐसे में ज्यादा फायदा स्पिनर्स को होता आया है. लेकिन, इस बार क्या हालात अलग थे? या फिर इस बार आईपीएल में पहले की तरह अच्छे स्पिनर्स नहीं थे? अगर पिचों की बात की जाए तो पिछले सालों की तुलना में कोई खास फर्क था ही नहीं. जबकि, इस बार तो बल्लेबाजों का स्वर्ग कहे जाने वाले चिन्नास्वामी स्टेडियम में स्पिन गेंदबाजों ने बड़ा रोल प्ले किया तो वहीं अश्विन को छोड़कर लगभग सभी बड़े स्पिनर्स इस सीजन शिरकत कर रहे थे.
लेकिन, तेज गेंदबाजों के फेवर में जो चीज गई वो थी रिवर्स स्विंग. पहले गेंद टी-20 इनिंग के दौरान कुच खास रिवर्स नहीं होती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इस बार तेज गेंदबाजों को खूब रिवर्स स्विंग मिली. इसके पीछे कारण क्या था वो तो नहीं पता लेकिन रिवर्स स्विंग की मौजूदगी को मना नहीं किया जा सकता.
आईपीएल के शुरुआती 9 सीजन तक, टीम सेलेक्शन इस बात को ध्यान में रखते हुए होता था कि डेथ ओवर्स में विदेशी तेज गेंदबाज ही गेंदबाजी करेंगे. अभी तक कुछ ही ऐसे भारतीय तेज गेंदबाज थे जिन पर आखिरी ओवरों के लिए टीमें विश्वास कर सकती थीं. लेकिन इस सीजन, भारतीय तेज गेंदबाजों ने डेथ ओवर्स में धमाकेदार गेंदबाजी करते हुए सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा.
भुवनेश्वर कुमाप और जसप्रीत बुमराह ने तो कमाल किया ही , सबसे ज्यादा चौंकाया बसिल थंपी, मोहम्मद सिराज, सिद्धार्थ कॉल और जयदेव उनादकट जैसे गेंदबाजों ने. इन युवा गेंदबाजों का अच्छा प्रदर्शन सिर्फ आईपीएल ही नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए गुड न्यूज है.
मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच हुए एलिमिनेटर ने सिर्फ यही फैसला नहीं किया था कि पुणे के खिलाफ फाइनल कौन खेलेगा बल्कि इस मैच ने भविष्य की ओर भी इशारा किया था. मुंबई और केकेआर दोनों ने अपने दो बड़े खिलाड़ी (हरभजन सिंह और यूसुफ पठान) को इस अहम मुकाबले में नहीं खिलाया और आईपीएल में एक नए युग की शुरुआत कर दी. अभी कुछ साल पहले तक, किसी भी अहम मुकाबले में भारत के बड़े खिलाड़ियों को टीम से बाहर करना गलत माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है.
इस साल हमने देखा कि किस तरह गेल, स्मिथ, फॉकनर और एंजेलो मैथ्यूज जैसे चैंपियन खिलाड़ियों को भी कई बार प्लेइंग इलेवन से ड्रॉप किया गया. नए भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों ने अब इस टूर्नामेंट में अपने जौहर दिखाना शुरू कर दिया है और अगले आईपीएल ऑक्शन में ये बात साफ दिखाई देगी.
अंपायरिंग पर बात तभी होती है जब उसका स्तर गिरता है. दुर्भाग्यवश इस आईपीएल में खराब अंपायरिंग को लेकर कई बार सवाल उठाए गए. इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय अंपायर्स के स्टैंडर्ड को बढ़ाने की सख्त जरूरत है लेकिन एक और चीज है जहां ध्यान देने की जरूरत है और वो ये कि फील्ड अंपायर को सही दिशा-निर्देश मिलें.
कई मौकों पर हमने देखा कि एक गलत अंपायरिंग डिसिजन हुआ और अगली गेंद डाले जाने से पहले ही रिप्ले ने दिखाया कि गलती हुई है. अब कॉमन सेंस ये कहता है कि थर्ड अंपायर को ऑन फील्ड अंपायर से फैसला बदलने के लिए कहना चाहिए. दुर्भाग्य से ऐसा करने का कोई नियम है नहीं तो गलती होती रहती हैं. क्योंकि आईपीएल एक घरेलू टूर्नामेंट है तो ऐसे में वो सभी के दिमाग में इस चीज को लेकर एक बड़ा बदलाव ला सकता है. अगर आईपीएल में हो रही गलतियों पर आईसीसी का ध्यान जाए तो वो नए नियम में कुछ बदलाव कर सकते हैं
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