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एशियन गेम्स (Asian Games 2023) में भारत को पहला गोल्ड मेडल शूटिंग में मिला है. सोमवार, 25 सितंबर की सुबह, 10 मीटर एयर राइफल में भारतीय तिकड़ी- दिव्यांश सिंह पंवार, ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर और रुद्राक्ष पाटिल ने 1893.7 पॉइंट स्कोर के साथ भारत को गोल्ड जिताया.
भारत को इस एशियन गेम्स में पहला गोल्ड दिलाने वाले ये तीनों खिलाड़ी कौन हैं, इनका फैमिली बैकग्राउंड कैसा है और अब तक की उपलब्धियां कैसी रही हैं, आइए जानते हैं.
भारत को एशियन गेम्स 2023 में पहला गोल्ड दिलाने वाली टीम को रूद्राक्ष बालासाहेब पाटिल ने ही लीड किया है. रूद्राक्ष के पिता बाला साहेब पाटिल भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं और पालघर के SP हैं. उनकी मां हेमांगिनी पाटिल नवी मुंबई के वाशी में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) हैं.
रूद्राक्ष को फुटबॉल खेलना ज्यादा पसंद था, लेकिन माता-पिता ने निशानेबाजी के लिए प्रेरित किया. इसीलिए मीडिया में उन्हें कई बार ‘‘एक्सीडेंटल शूटर’’ कहा जाता है.
रूद्राक्ष ने मिस्र के काहिरा में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर अपने लिए 2024 पेरिस ओलंपिक का भी कोटा पक्का कर लिया है.
21 साल के ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के रतनपुर गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म किसान परिवार में हुआ. शुरुआती दिनों में उन्होंने अपने चचेरे भाई नवदीप सिंह राठौर से शूटिंग सीखी. 2015 में उन्होंने भोपाल के मध्य प्रदेश शूटिंग एकेडमी में ट्रेनिंग लेनी शुरू की.
ऐश्वर्य ने अपने करियर में कई उपलब्धियां अपने नाम की हैं. उन्होंने 2019 एशियन एयरगन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. 2019 ISSF जूनियर वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल अपने नाम करने के साथ ही वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया. 2021 ISSF वर्ल्ड कप में भी ऐश्वर्य ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
भारत की झोली में गोल्ड मेडल लाने में दिव्यांश सिंह पंवार का भी योगदान है. इनकी उम्र महज 21 साल है. दिव्यांश के पिता अशोक पवार जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में कर्मचारी हैं और मां नर्स हैं.
2017 में कई बच्चों की तरह उन्हें भी PUBG की लत लग गई. इससे चिंतित होकर उनके पिता ने करनी सिंह शूटिंग रेंज में दिव्यांश का दाखिला करवा दिया. यहां दीपक कुमार दुबे उनके कोच थे.
2018 में ISSF जूनियर वर्ल्ड कप में दिव्यांश ने 2 गोल्ड मेडल जीते. इसी साल वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में भी उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था.
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