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फुटबॉल की दुनिया के भगवान कहे जाने वाले, 1986 विश्व कप के विजेता, अर्जेन्टीना के महान फुटबॉलर डिएगो मैराडोना का 25 नवंबर को हार्टअटैक से निधन हो गया. मैराडोना सिर्फ अर्जेन्टीना के ही सुपरस्टार नहीं थे, पूरी दुनिया उनकी दीवानी थी, और भारत में भी स्थिति अलग नहीं थी. उनके भारत दौरों को देखें तो यही समझ में आता है.मैराडोना दो बार कोलकाता और एक बार केरल का दौरा कर चुके थे. दोनों ही प्रांतों मे डिएगो का खूब जमकर स्वागत किया गया था.
डिएगो का पहला भारत का दौरा 2008 मे हुआ था, एक फुटबॉल एकेडमी के उद्घाटन के लिए पश्चिम बंगाल के कोलकाता में उन्हें आमंत्रित किया गया था, साल्ट लेक पर हुए उनके एक प्रदर्शन मैच के दौरान, उनकी फुटबॉल जगलिंग देख फेन्स खुशी से पागल हो उठे थे.
दूसरी बार वो कोलकता 2017 में आए. एक चैरिटी ईवेंट के लिए उन्हें बुलाया गया था. इस बार वो 3 दिनों के लिए भारत आए थे. अपने फैन्स से भरे स्टेडियम में उन्होंने अपनी एक 12 फीट की प्रतिमा का उद्घाटन किया और कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए डोनेशन भी दिया. कोलकाता की जनता से उनका कहना था “कोलकाता एक बड़ा ही खास शहर है , मेरी इस शहर के साथ काफी सारी पुरानी यादें जुड़ी हुई हैं. कोलकाता की जनता से मुझे बहुत प्यार मिला है, मैं फुटबॉल का भगवान नहीं हूं, मैं एक साधारण फुटबॉलर हूं”
तीन साल पहले जब वो कोलकाता आए थे तो एक चैरिटी मैच खेला था. उस मैच में सौरव गांगुली भी मैदान पर थे. कोई ताज्जुब नहीं कि उनके निधन पर सबसे पहले श्रद्धांजलि देने वालों में गांगुली भी थी. उस दौरे पर मैराडोना पसीने से तर बतर थे, लेकिन उन्हें कोई शिकायत नहीं थी. फैन्स का उत्साह उनका जोश बढ़ा रहा था. तभी तो उन्होंने एक स्पैनिश गाना भी गाया था.
2012 मे डिएगो 2 दिन के लिए केरल आए थे, उन्हें एक ज्वेलेरी शोरूम के उद्घाटन के लिए कन्नूर मे आमंत्रित किया गया था, कन्नूर के एक स्टेडियम में डिएगो ने 50,000 लोगों के सामने गाया, उनके साथ नाचे और उन्हें अपने कुछ खास फुटबॉल मूव्स दिखाकर जनता का उत्साह बढ़ाया. उनके फैन अर्जेन्टीना की जर्सी पहन फुटबॉल के भगवान ‘डिएगो मैराडोना’ को देखने पहुचे थे. केरल दौरे के कुछ दिनों बाद ही डिएगो का जन्मदिन था तो इसलिए उन्होंने स्टेडियम में ही फेन्स के सामने अपना जन्मदिन मनाया और फुटबॉल के आकार का 30 किलो का केक काटा. जाते-जाते डिएगो का कहना था “मैं केरल से बहुत प्यार करता हूं”
मैराडोना ने वादा किया था कि वो फुटबॉल को भारत में आगे ले जाएंगे. लेकिन अब उनके निधन के साथ उनका ये सपना अधूरा रह गया.
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