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मैराडोना: ‘प्लेयर ऑफ दी सेंचुरी’ के खेल पर आज भी यकीन करना मुश्किल

मेराडोना का जाना एक लिजेंड का जाना है. उनकी कामयाबियां इतनी बड़ी हैं कि जब तक फुटबॉल है वो अमर रहेंगे

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मैराडोना का जाना एक लिजेंड का जाना है
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मैराडोना का जाना एक लिजेंड का जाना है
(फोटो: ट्विटर/ @sougat18)

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ऐसा कब होता है जब कोई किसी खेल में करियर बनाने आए और वो खेल उस खिलाड़ी का पर्याय बन जाए. कभी सदियों में ऐसा होता है तो उसे डिएगो मैराडोना (Diego Maradona) कहते हैं.

याद है आपको 1986 का फुटबॉल वर्ल्ड कप? याद है वो गोल जिसे हैंड ऑफ गॉड कहा जाता है. और क्वार्टर फाइनल के उसी मैच में इंग्लैंड के खिलाफ मैराडोना का वो दूसरा गोल याद है जिसे - 'गोल ऑफ दि सेंचुरी' कहा जाता है. 6 मीटर की दूरी से मारा गया गोल, इंग्लैंड के छह खिलाड़ियों को चीरता हुआ दनदनाता हुए गोलपोस्ट के अंदर.

मैराडोना का 'गोल ऑफ दि सेंचुरी' यहां देखें-

इस वर्ल्डकप में शानदार खेल कि लिए मैराडोना को गोल्डन बॉल पुरस्कार मिला. वैसे मैराडोना के लिए पुरस्कार सम्मान की बात नहीं रह गए थे. उनका नाम खुद एक सम्मान हो गया था. फीफा प्लेयर ऑफ दी सेंचुरी, 91 कैप्स और न जाने कितने अवॉर्ड. यूं ही नहीं कहते कि मैराडोना से महान कोई फुटबॉलर नहीं.

मैराडोना का 'हैंड ऑफ गॉड' गोल यहां देखें-

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30 अक्टूबर 1960 को ब्यूनस ऑयर्स में जन्मे मैराडोना के फुटबाल ने अर्जेंटीना को ऐसी शोहरत दिलाई कि आज फुटबॉल ही इस देश की पहचान बन गया. फुटबॉल में शानदार करियर के बावजूद मेराडोना विवादों में घिरे रहे. कभी अपनी बेबाकी के कारण तो कभी ड्रग्स की लत के कारण. लेकिन वो कहते हैं कि खिलाड़ी एक फाइटर भी होता है. मैराडोना ने भी अपनी लत से जंग लड़ी. उबरे. फिर राष्ट्रीय टीम के मैनेजर बने. एक सफल टीवी प्रजेंटर बने.

मैराडोना के दस गजब के गोल

पेले के बाद मैराडोना ऐसा नाम जिसने फुटबॉल की लोकप्रियता को इतना बढ़ाया, इतना बढ़ाया कि ये नाम दुनिया के अमीर से लेकर गरीब देशों तक मशहूर हो गए. कोई ताज्जुब नहीं कि जब वो फुटबॉल के लिए दीवाने शहर कोलकाता पहुंचे तो कुछ इस तरह स्वागत हुआ.

मैराडोना का जाना एक लिजेंड का जाना है. उनकी कामयाबियां इतनी बड़ी हैं कि जब तक फुटबॉल है ये नाम अमर रहेगा.

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Published: 25 Nov 2020,10:59 PM IST

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