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यदि आपकी दिलचस्पी टाइम ट्रैवल में है तो आप दुबई में हुए Ind Vs Nz मैच (ICC T20 World Cup 2021) को एक अच्छे उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं कि किस तरह टाइम मशीन काम करती है.
क्योंकि दुबई में 31 अक्टूबर की रात को पहली बार यह देखने को मिला टी 20 आखिर कैसे होता है, जबकि सही मायने में इसकी शुरुआत 2003 में हुई थी.
2003 में जब यह फार्मेट आया था तब हमने देखा था कि किस तरह अलग-अलग बैट्समैन इस प्रारुख में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश करने में लगे थे. इतने वर्षों बाद जब हम अक्टूबर 2021 में अपने मोबाइल या टैबलेट या टीवी में मैच देखने के लिए स्विच करते हैं तो हम उसी स्थिति को देखते हैं कि अब भी भारतीय टीम के पांव इस फार्मेट में ठीक से जम नहीं पाए हैं.
कुछ दिनों पहले ही इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL के लिए दो नई फ्रेंचाइची का ऐलान हुआ, जिन्हें खरीदने में काफी पैसा खर्च किया गया. ऐसे में यह अप्रोच देश में इस फार्मेट के बारे में आपकी समझ की कमी को उजागर करती है.
इसीलिए आपको ऐसा देखने को मिला कि इस फार्मेट में भी भारतीय बल्लेबाज इंनिंग को बनाने में लगे रहें. उनकी अप्रोच को देखकर यही कहा जा सकता है कि वे डरकर और पुराने पैटर्न पर खेल रहे थे. ये अप्रोच किसी नए नहीं बल्कि पुराने और अहम बल्लेबाजों से देखने को मिली.
जिस तरह से टी 20 फार्मेट में टीम इंडिया ने बल्लेबाजी की वही अहम गलती रही. 2007 में ICC T20 वर्ल्ड कप में पहला ही खिताब अपने नाम करने वाली टीम इंडिया तब से अब तक इस ट्रॉफी को जीतने का इंतजार कर रही है. अभी भी टीम इंडिया को यह ट्रॉफी जीतना बाकी है.
समय के साथ टीम इंडिया की जो अप्रोच रही उसे देखे तो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के दौर में टीम इस फार्मेट में वनडे क्रिकेट का एक्सटेंशन तलाश रही थी. वहीं फिर जब कोहली ने कमान संभाली तो टीम बैटिंग ऑर्डर में उलझी हुई नजर आई. अभी टीम में बैटिंग लाइन अप स्पष्ट नहीं दिख रहा है.
टी 20 वर्ल्ड कप के लिए जिस तरह से भारतीय टीम का चयन किया गया वह पूरी तरह से कंफ्यूजिंग रहा. वहीं प्लेइंग इलेवन जब चुना गया तो ऐसा लग रहा था जैसे मानो कोई बड़ी लॉटरी देखने को मिल रही हो. प्लेइंग इलेवन के चयन के पीछे किसका दिमाग था यह अभी अबूझ पहेली की तरह है. आपके पास ड्रेसिंग रूम में भारतीय क्रिकेट के कुछ बड़े नाम हैं लेकिन कुछ देर बाद कुछ और दिखता है.
मौजूदा बात करें तो आप केवल इनका बैटिंग ऑर्डर देखिए. इससे पहले यह स्वीकारा गया कि टीम को शुरुआती ओवरों में आगे बढ़ने की जरूरत थी. इसलिए चोटिल सूर्यकुमार यादव के स्थान पर ईशान किशन को लाया गया और केएल राहुल के साथ ओपनिंग के लिए भेजा गया. जबकि रोहित को तीसरे नंबर बैटिंग के लिए उतारा गया. यह प्लान और रणनीति पूरी तरह से विफल रही.
राहुल ने एक बार फिर शुरुआत की लेकिन वह टेंटेटिव दिखे उनका आईपीएल वाला फार्म यहां देखने को नहीं मिला.
भारतीय टीम के दो सबसे अनुभवी बल्लेबाज रोहित शर्मा और विराट कोहली महत्वपूर्ण ओवरों का सामना करने के लिए क्रीज पर थे. वे ऐसे समय में तालमेल बैठाने में लगे थे जब वे अधिक रन बनाने में विफल रहे हैं. यहीं से उनकी सोच में उलझने देखने को मिलीं. स्पिनर्स के खिलाफ दोनों ने पेस को फोर्स करना चाहा लेकिन वे आगे नहीं बढ़ सकें.
बीते मैच में एक बार फिर न्यूजीलैंड की टीम ने वही किया जो उसने और उसके स्पिनर्स ने 2016 वर्ल्ड कप में किया था. उन्होंने टीम इंडिया को एक बार फिर बुरी तरह से बिखेर दिया. मिशेच सेंटनर और ईश सोढ़ी की जबरदस्त गेंदबाजी ने भारतीय बल्लेबाजों को गलती करने के लिए मजबूर किया.
रोहित शर्मा और विराट कोहली, दोनों ही भारत के बेहतरीन बल्लेबाज हैं. उन्हें इस फार्मेट में ओपनिंग करनी चाहिए. अगर टी 20 फार्मेट ये ज्यादा से ज्यादा बॉलों को सामना नहीं करेंगे तो हम इनकी खूबियों और क्षमताओं को सही ढंग से भुना नहीं पाएंगे. हो सकता है हम उनकी क्षमताओं को बर्बाद कर देंगे. उनका खेला ऐसा है कि वे ज्यादा से ज्यादा समय तक क्रीज में रहे क्योंकि किशन, रिषभ पंत और सूर्यकुमार यादव के उलट ये स्वाभाविक तौर पर हिटर नहीं हैं. ऐसे में हिटिंग का जिम्मा युवा बल्लेबाजों के कंधों पर रहने देना चाहिए. अगर भारतीय कप्तान और उप कप्तान ओपन नहीं करते हैं तो उन्हें इस फार्मेट में अपने लिए उपयुक्त जगह देखने में मुश्किल होगी.
वे आईपीएल में अपनी-अपनी फ्रेंचाइजी के लिए खेलना जारी रख सकते हैं, लेकिन अगर वे ओपन नहीं करते हैं तो उन्हें (खासतौर पर कोहली को) इस फार्मेट में जगह नहीं मिलेगी. हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ कोहली ने हाफ सेंचुरी लगाई लेकिन वे फिफ्टी इस फार्मेट के लिहाज से नहीं बल्कि वन डे के लिए एकदम सही थी. इसमें काफी डॉट गेंदें शामिल थीं. वहीं न्यूजीलैंड के खिलाफ यही देखने को मिला वहां भी वे संघर्ष करते हुए दिखाई दिए.
भारतीय थिंक टैंक ने टीम इंडिया के बैटिंग ऑर्डर में कुछ अलग करने की कोशिश की लेकिन यह भी ठीक नहीं जमा. सही मायने में यह फार्मेट उन लोगों के लिए बिल्कुल भी नहीं है जो इसे किसी भी तरीके से कंफर्ट जोन की तरह देखते हैं. बल्कि यह उनके लिए है जो नई चीजों को अपनाने के लिए तैयार रहते हैं कुछ न कुछ नया करने में लगे रहते हैं. ऐसे में इसी अप्रोच को भारतीय थिंक टैंक को अपनाने की जरूरत है.
लेकिन अब उन्हें एक बार फिर वापस से इसमें गौर करने की जरूरत है. इस वर्ल्ड कप तक पहुंचने का एक मात्र तरीका विराट से ओपन कराना है और यही सोच टूर्नामेंट की शुरुआत से होनी चाहिए थी.
इस बात को अलग करने की जरूरत है कि वे तीसरे क्रम में दुनिया के सबसे महान बैट्समैन हैं. क्योंकि वे इस मुकाम में वन डे फार्मेट में हैं टी20 में नहीं. वहीं टेस्ट क्रिकेट में वे चौथे क्रम में और भी बेहतर बल्लेबाज हैं. टी 20 में उन्हें ओपनिंग करनी होगी. मार्च 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ उनके बल्ले ने काफी शोर मचाया था, लेकिन फिर बाद वैसा ही जैसा होता आ रहा है फार्मेट के बारे में सोच की कमी और रुढ़िवादिता के चलते उन्हें तीन नंबर पर आने को मजबूर होना पड़ा.
टी 20 की बात करें तो यहां आप किसी एक स्लॉट के लिए जुनूनी और रुढ़िवादी नहीं हो सकते हैं. यहां आपको बैटिंग पोजीशन के अनुसार फ्लेक्सिबिल्टी सीखने की जरूरत होती है.
इंग्लैंड को देखिए, टी 20 में जेसन रॉय और जोस बटलर ओपनिंग करने आते हैं इसके बाद बेयरस्टो निचले क्रम में आते हैं. वहीं वनडे की बात करें तो बेयरस्टो ओपनिंग करने आते हैं. यही उनकी अहम भूमिका है और दूसरी ओर बटलर अपना स्थान बदलते रहते हैं.
टी 20 में बैटिंग की बात करें तो टीम इंडिया को पुरानी मानसिकता से छुटकारा पाने की जरूरत है.
जो रूट ने पिछले 12 महीनों में किसी अन्य खिलाड़ियों की तुलना में सबसे ज्यादा रन बनाए हैं, लेकिन उन्हें इंग्लिश लाइन अप में जगह मिलती. वजह स्पष्ट है क्यों कि उनके रन टेस्ट फार्मेट में आए हैं. ऐसे में जगह बनाने के लिए टी 20 में प्रदर्शन बेस्ट होना चाहिए. यह रूट पर किसी तरह का धब्बा नहीं है बल्कि यह सही फार्मेट के लिए सही खिलाड़ी के चयन की अनिवार्य मांग है.
इसी तरह बाबर आजम पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें भी इस बात का एहसास है कि अगर उन्होंने ठीक ढंग से बल्लेबाजी में ओपन नहीं किया, तो इस प्रारूप में उनके लिए कोई जगह नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में स्टीव स्मिथ से भी उनके टी20 चयन को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं.
कोहली को यह अहसास होना चाहिए कि वह दुनिया की बल्लेबाजी रॉयल्टी में अकेले नहीं हैं जो टी 20 वास्तविकता के आस-पास सवालों का सामना कर रहे हैं. ये सभी फिलहाल एक ही नाव में सवारी कर रहे हैं.
टीम इंडिया की बड़ी गड़बड़ियां ड्रेसिंग रूम में हो रही हैं जहां कई बड़े लोग प्लानिंग कर रहे हैं. ऐसे में पहले ही गड़बड़ चले रहे ड्रेसिंग रूम में धोनी की बतौर मेंटर इंट्री और ज्यादा महौल में गर्मी में ला रही है. भारत के हेड कोच रवि शास्त्री और उनके प्रमुख लेफ्टिनेंट भरत अरुण ने खुले तौर पर यह नहीं बताया कि वे जा रहे हैं लेकिन उनके "इंफॉर्म्ड सोर्स" ने बताया कि उनकी जल्द होने वाली विदाई, धोनी की मौजूदगी और एक कप्तान ने लाइन अप के कंफ्यूजन को बढ़ा दिया है.
टीम इंडिया को रीसेट होने की जरुरत है. फिर से टीम को स्ट्रैटजी बनाने की अवश्यकता है. अब समय आ गया है कि हम टी 20 क्रिकेट को एक अलग तरह के फार्मेट यहां तक की एक अलग तरह के खेल की तरह देखे. वनडे में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के बजाय फार्मेट के अनुसार चयन पर ध्यान दें.
याद रखें दुनिया की सबसे बड़ी टी20 लीग से इतनी कमाई करने के बाद भी अगर भारत ऐसा नहीं कर पाता है तो तीन महीने का जश्न इसके लायक बिलकुल भी नहीं है. टी 20 क्रिकेट भारत में ठीक वैसे ही है जैसा किसी ने इंग्लिश फुटबॉल टीम का वर्णन किया था. उनके पास सबसे बेहतरीन लीग है लेकिन वे वर्ल्ड टाइटल अभी तक नहीं जीत सकें.
कम से कम इंग्लिश फ़ुटबॉल टीम हमें यह नहीं दिखाती कि टाइम ट्रेवल कैसे करना है, लेकिन इस भारतीय टी 20 टीम ने हमें यह दिखाया. तो ऐसे में भारत की क्रिकेट टीम इंग्लैंड की फ़ुटबॉल टीम में कम से कम एक कदम आगे है!
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