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बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) जैसे दिग्गज भारतीय पहलवानों ने अपने ही फेडरेशन के मुखिया के खिलाफ मोर्चा खोलकर खेल और राजनैतिक जगत में हलचल मचा दी है. बजरंग पुनिया इस प्रदर्शन के मुख्य चेहरों में से एक हैं. 2003 से 2008 तक बजरंग पुनिया के कोच रहे विरेंद्र पहलवान ने क्विंट हिंदी से बात की और कहा कि आज देश का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ियों को सड़क पर बैठना पड़ा इससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है.
विरेंद्र पहलवान ने रेसलिंग में चल रहे विवादों और आरोपों पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि "पहलवानों का शोषण काफी घिनौनी हरकत है. महिला पहलवान देश की शान हैं और इस तरह से मामले आने से गलत प्रभाव पड़ता है. कौन अपनी बेटी को खेलने के लिए भेजेगा. कोई भी हिचकिचाएगा. रेसलिंग में महिलाओं की संख्या और कम हो जाएगी."
हमारे पूछने पर कि जब बजरंग इतने कॉन्फीडेंट हैं तो उन्हें अब तक चुप क्यों रहना पड़ा, विरेंद्र ने कहा कि खिलाड़ी का करियर काफी छोटा होता है और वो इन चीजों से बचना चाहता है. कहीं कोई खिलाड़ी निशाने पर न आ जाए. इससे उसके करियर पर असर पड़ सकता है. उसे अपने ऊपर फोकस करना होता है." उन्होंने आगे कहा कि लड़कियां भी अपनी इज्जत रखने के लिए बात को दबाती हैं. इन चीजों से शादी में भी अड़चन आती हैं.
विरेंद्र पहलवान ने इसपर कहा कि कोच नियुक्ति में WFI की ही चलती है. उन्होंने जो कह दिया वो खिलाड़ियों के लिए आदेश है. खिलाड़ी से किसी तरह कोई चर्चा नहीं होती.
विरेंद्र पहलवान ने कुश्ती के महत्व पर बात करते हुए कहा कि ये देश की सांस्कृतिक धरोहर है. फौज में भी सारी चीजें तोप और मिसाइल से ही नहीं होतीं. मुख्य इकाई तो आदमी ही है. वो मजबूत होगा तभी लड़ पाएगा. कुश्ती से लोग मजबूत रहते हैं. इसलिए इसे फौज में भी किया जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि जब बच्चे अपने सितारों को सड़कों पर बैठ कर सिस्टम से लड़ते देखते हैं तो उनका भी मनोबल टूटता है. आपको बता दें कि विरेंद्र पहलवान ने सिर्फ बजरंग को ही नहीं बल्कि दीपक पुनिया को भी कोचिंग दी है. वे करीब 13 सालों तक दीपक के कोच रहे हैं.
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