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इंजीनियर, सिविल सर्वेंट और पैराओलंपियन: सुहास यथिराज की जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव

2016 में सुहास को उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान यश भारती से नवाजा गया

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<div class="paragraphs"><p>सुहास एल यथिराज</p></div>
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सुहास एल यथिराज

फोटो: ट्विटर

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आप सुहास यथिराज को किस नाम से जानते हैं ? एक प्रशासनिक अधिकारी (Civil Servant), एक इंजीनियर, एक पैराएथलीट या फिर इनके नाम से ही, जो अपने आप में अब एक पहचान बन चुका है.

सुहास ने पुरुष सिंगल्स के SL4 इवेंट में सिल्वर मेडल (Silver Medal) जीता. सुहास इस मैच में फ्रांस के टॉप सीड शटलर लुकास माजूर ( Lukas Majbur) से 21-15, 17-21 और 15-21 से हार गए. जिसके बाद उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा. पहला सेट सुहास में 21-15 से अपने नाम किया, लेकिन अगले दो सेटों में कड़ी टक्कर देने के बावजूद माजूर, सुहास पर भारी पड़े.

सुहास की इस जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बधाई दिया. राष्ट्रपति ने ट्विटर पर बधाई देते हैं हुए लिखा, "एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अपनी सेवा देते हुए खेल के प्रति आपका समर्पण अद्भुत है."

आइये जानते हैं सुहास के बारे में

सुहास का जन्म कर्नाटक में हुआ. उनकी ज्यादातर पढ़ाई टीवीएस इंडिपेंडेंट कॉलेज शिवमोगा से हुई. इसके बाद उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी शिवमोगा से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग की. फिलहाल वो गौतम बुद्ध नगर (नोएडा ) के जिलाधिकारी हैं.

सुहास 2007 में आईएएस की परीक्षा पास कर सिविल सेवा अधिकारी बन गए. उनकी पहली पोस्टिंग आगरा में थी, जहां एक कार्यक्रम के दौरान वो रितु से मिले. इसके बाद 2008 में उनकी रितु से शादी हो गई. उनकी पत्नी रितु भी पीसीएस अधिकारी हैं. इनके दो बच्चे हैं. एक 11 साल की बेटी और एक 6 साल का बेटा.

सुहास को हमेशा खेल से प्यार था. लेकिन छह साल पहले जब वे आजमगढ़ के डीएम थे, तब उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया. हिंदुस्तान टाइम की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद देश के मौजूदा पैरा-बैडमिंटन टीम के कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और उनकी प्रोफेशनल जर्नी को आगे बढ़ाने में उनकी मदद की.

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इससे पहले भी सुहास ने जीते हैं कई खिताब

उन्होंने 2016 में चीन में आयोजित एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर रिकॉर्ड बनाया था. इसके बाद सुहास एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाले पहले अनरैंक्ड खिलाड़ी बने.

2017 में उन्होंने तुर्की में आयोजित BWF टर्किश ओपन पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में पुरुष सिंगल और डबल्स में गोल्ड जीता और इंडोनेशिया के जकार्ता में 2018 एशियाई पैरा खेलों में भी ब्रॉन्ज मेडल जीतने में कामयाबी पाई.

खेल के अलावा, सुहास को 2016 में उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान यश भारती से भी नवाजा गया. अब 2021 में सुहास पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय सिविल सर्वेंट भी बन गए हैं.

टोक्यो पैरालंम्पिक में कहां खड़ा है भारत

टोक्यो पैरालंपिक में भारत फिलहाल 19 पदकों के साथ 24 में स्थान पर है. भारतीय पर आश्रितों ने अब तक कुल 5 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रोंज मेडल अपने नाम किए हैं.

पढ़ें ये भी: Paralympics| बैडमिंटन का सुपर संडे-सुहास के सिल्वर के बाद कृष्णा ने जीता गोल्ड

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