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वर्ल्ड चैंपियनशिप: फाइनल से चूकीं मैरी कॉम, लेकिन जीता 8वां मेडल

मैरी कॉम ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में अब तक 6 गोल्ड मेडल जीते हैं

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सेमीफाइनल में तुर्की की बॉक्सर ने मैरी को 4-1 से हरा दिया
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सेमीफाइनल में तुर्की की बॉक्सर ने मैरी को 4-1 से हरा दिया
(फोटोः BFI)

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भारतीय बॉक्सर एमसी मैरीकॉम को रूस के उलान उदे में जारी महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा. शनिवार 12 अक्टूबर को 51 किलोग्राम भारवर्ग के सेमीफाइनल तुर्की की बुसेनांज कारिकोग्लू ने मैरी को हरा दिया. कारिकोग्लू ने मैरी को 4-1 से हराकर फाइनल में जगह बनाई.

इसके साथ ही मैरी का रिकॉर्ड सातवां गोल्ड जीतने का सपना अधूरा रह गया. इसके बावजूद ब्रॉन्ज मेडल के साथ ही मैरी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में 8 मेडल जीतने का रिकॉर्ड भी कायम किया.

दूसरी सीड कारिकोग्लू के खिलाफ तीसरी सीड मैरी ने संभलकर शुरुआत की. पहले राउंड में मैरी ने अपनी तुर्की की बॉक्सर के मूव को परखा और अपना पूरा समय लिया. मैरी ज्यादा आक्रामक नहीं हुई और कारिकोग्लू के जैब को भी आसानी से चकमा दिया.

मैरी ने दूसरे राउंड में यूरोपीयन चैंपियन के खिलाफ शुरू से ही अटैकिंग रुख अपनाया. उन्होंने कई जैब और हुक लगाए. भारतीय खिलाड़ी अपने प्रतिद्वंद्वी को कई बार रिंग के पास ले जाने में कामयाब हुई. हालांकि, दोनों खिलाड़ियों को ज्यादा सफलता नहीं मिली और मुकाबला कांटे का रहा.

कारिकोग्लू के लिए तीसरे राउंड की शुरुआत बेहतरीन रही. उन्होंने दमदार जैब और हुक लगाते हुए कई जरूरी प्वाइंट्स हासिल किए. तुर्की की खिलाड़ी आक्रामक नजर आई और मैरी को परेशानी हुई. बाउट खत्म होने के बाद पांच जजों ने कारिकोग्लू के पक्ष में 28-29, 30-27, 29-28, 29-28, 30-27 से फैसला सुनाया.

48 किलोग्राम भारवर्ग में 6 बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी मैरी का 51 किलोग्राम में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना टूट गया. हालांकि इस भारवर्ग में ये वर्ल्ड चैंपियनशिप में उनका पहला मेडल है.

ये पहला मौका है जब मैरी को वर्ल्ड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा है और पहली बार उन्हें ब्रॉन्ज मिला है.

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जमुना, लवलीना और मंजू से उम्मीद

वहीं भारत की 3 और बॉक्सर जमुना बोरो, मंजू रानी और लवलीना बोरगोहेन भी शनिवार को अपने-अपने सेमीफाइनल में उतरेंगी.

48 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का हमेशा दबदबा रहा है क्योंकि अभी तक यहां मैरी खेलती आई थीं. लेकिन इस बार मंजू ने उनसे बागडोर संभाल ली है और उम्मीद की जा सकती है कि वह मैरी के स्वर्ण की रक्षा करेंगी. सेमीफाइनल में उनका सामना थाईलैंड की छुटहामाट राक्सत से होगा.

असम की रहने वाली जमुना से भी उम्मीदें कम नहीं हैं. जमुना ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उससे उम्मीद लगाई जा सकती है कि वह सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की हुआंग सियाओ वेन की बाधा को पार करने में सफल रहेंगी. इंडिया ओपन और इंडोनेशिया में प्रेसिडेंट कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली जमुना आत्मविश्वास से भरी लग रही हैं.

लवलिना निश्चित तौर पर अपने पदक का रंग बदलने उतरेंगी. पिछली बार कांस्य जीतने वाली लवलिना चीन की यांग लियू से सेमीफाइनल में दो-दो हाथ करेंगी.

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