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विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघाल ने कहा है कि उन्हें लंबे कद के मुक्केबाजों के खिलाफ खेलने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि रियो ओलंपिक से पहले उन्हें अपने पंच की ताकत और बढ़ानी होगी.
पंघाल ने इसी साल अपना भारवर्ग बदला है. इससे पहले वो 48 किलो में उतरते थे लेकिन इस साल वो 52 किलो में उतर रहे हैं.
पंघाल ने लाइट फ्लाइवेट के 48 किलोग्राम भार वर्ग में पिछले साल एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन ओलंपिक में 48 किग्रा भार वर्ग नहीं होने के कारण पंघाल ने उसके बाद 52 किग्रा वर्ग में उतने का फैसला किया क्योंकि 52 किग्रा एक ओलंपिक भार वर्ग है.
पंघाल ने रुस के एकातेरिनबर्ग में हुई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिन में भाग लेकर स्वदेश लौटने के बाद सोमवार को आईएएनएस से कहा,
उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी ताकत और पॉवर में और ज्यादा सुधार करने की जरूरत है. उन्हें फाइनल में रियो ओलम्पिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव से 0-5 से हार का सामना करना पड़ा.
पंघाल सेमीफाइनल में अपने से कहीं लंबे कजाकिस्तान के साकेन बिबोसीनोव से भिड़े थे.
उन्होंने कहा,
पंघाल को अब अगले महीने चीन के वुहान में होने वाले सैन्य विश्व खेलों में हिस्सा लेना हैं.
उन्होंने कहा, "मैं उन लोगों के खिलाफ मुकाबला करूंगा, जिनका सामना मैं यहां नहीं कर सकता क्योंकि उनमें से ज्यादातर मुक्केबाज सेना में हैं. ओलंपिक क्वालीफायर में खेलने के लिए यहां का अनुभव काफी काम आएगा."
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