Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019All sports  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अदिति अशोक: खूब लड़ी मर्दानी वो तो... 200 रैंक वाली गोल्फर ने नंबर 1 को दी टक्कर

अदिति अशोक: खूब लड़ी मर्दानी वो तो... 200 रैंक वाली गोल्फर ने नंबर 1 को दी टक्कर

रियो ओलंपिक में 41वां रैंक पर रहने वाली Aditi Ashok टोक्यो ओलंपिक में टॉप 4 में पहुंची.

क्विंट हिंदी
अन्य खेल
Published:
<div class="paragraphs"><p>गोल्फ खिलाड़ी Aditi Ashok</p></div>
i

गोल्फ खिलाड़ी Aditi Ashok

(फोटो: PTI)

advertisement

‘जब मैंने गोल्फ खेलना शुरू किया तो कभी सोचा नहीं था कि ओलंपिक खेलूंगी. गोल्फ उस समय ओलंपिक का हिस्सा नहीं था. कड़ी मेहनत और अपने खेल का पूरा मजा लेकर आप यहां तक पहुंच सकते हैं.’

भारत की स्टार गोल्फर अदिति अशोक (Aditi Ashok) टोक्यो ओलंपिक में सिर्फ कुछ इंच की दूरी से टॉप तीन में जगह नहीं बना पाईं. भारत की 23 साल की गोल्फर अदिति टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में इतिहास रचने से चूक गईं. उनका एक शॉट उनके पीछले तीन दिन के प्रदर्शन पर भारी पड़ गया.

न डर, न घबराहट, न उत्सुकता

अमीरों का खेल समझे जाने वाले गोल्फ के नियम, कायदे, दांव पेच बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन अदिति ने हम जैसे लाखों लोगों को टीवी और मोबाइल के स्क्रीन से चिपककर बैठे रहने को मजबूर कर दिया.

अदिति के खेल को समझने के लिए थोड़ा गोल्फ भी समझ लेते हैं-

ओलिंपिक में गोल्फ में कुल 72 होल्स होते हैं और ये पूरा खेल चार दिन चलता है. हर दिन 18 होल खेले जाते हैं. जो गोल्फर कम शॉट का इस्तेमाल करते हैं वो ज्यादा बेहतर खिलाड़ी बनते हैं और जीत की तरफ आगे बढ़ते हैं. एक शॉट कम के लिए बर्डी और दो शॉट कम के लिए ईगल कहा जाता है. अगर एक शॉट ज्यादा लिया जाए तो उसे बोगी कहते हैं. अगर कोई गोल्फर दिए गए शॉट्स में ही होल कर ले तो उसे ऑन पार कहते हैं.

खेल के शुरुआत से ही अदिति तीन राउंड तक मेडल की दौड़ में बनी हुई थीं. अदिति के चेहरे पर कभी भी टेंशन या बेचैनी नहीं दिखी. वो लगातार शांति के साथ एक एक शॉट ले रही थीं. तीन दिनों की मेहनत के बाद चौथे और आखिरी दिन के खेल में भी वो लगातार टॉप चार खिलाड़ियों में बनी रहीं, मानों बस मेडल झोली में है. कभी दूसरे नंबर रहतीं तो कभी तीसरे पर. कई बार वो मेडल रेस से बाहर हुईं तो कभी उन्होंने वापसी कर मेडल जीतने की उम्मीद बनाई.

रियो ओलंपिक में 41वां रैंक और अब टॉप 4 में जगह

अपना दूसरा ओलंपिक खेल रहीं अदिति रियो ओलंपिक में 41वें स्थान पर रही थीं. लेकिन टोक्यो में अदिति ने शुरू से ही शानदार प्रदर्शन किया और तीसरे राउंड की आखिर तक टॉप-3 में बनी रहीं. यहां तक कि फाइनल राउंड में अदिति अपने विरोधियों के सामने एक के बाद एक पावरफुल और सटीक गेम खेल रही थीं.

तीन दिनों की मेहनत के बाद चौथे राउंड में 12वें होल से अदिति का गणित बिगड़ा. अदिति ने 11वें होल तक भी दूसरा नंबर बना रखा था, लेकिन 12वें होल से उनकी विरोधी और मेजबान जापान की मोने इनामी ने लगातार चार बर्डी बनाई और आगे निकल गईं, रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली न्यूजीलैंड की लेडिया को को बीच तीसरे स्थान के लिए मुकाबला चलता रहा.

10वें और 11वें होल पर बोगी करने वाली को ने 13वें, 14वें और 15वें होल में बर्डी बनाई, जबकि अदिति 13वें और 14वें होल में ही बर्डी बना सकी और पिछड़ गईं. को ने 16वें होल में बोगी की, लेकिन 17वें में बर्डी करते हुए हिसाब बराबर कर लिया. इसके उलट अदिति लगातार पार ही खेलती रहीं.

आखिरी होल में अदिति के पास बर्डी का मौका था, लेकिन वह महज कुछ सेंटीमीटर से चूक गईं. सिर्फ एक स्ट्रोक ने उनसे ऐतिहासिक मेडल दूर कर दिया. अदिति कुल 15 अंडर 269 के स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रहीं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT