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टोक्यो ओलंपिक (Tockyo Olympics) में भारत ने इतिहास रच दिया है. भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल से दिल में पल रहे टीस की दवा यानी ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया. भारत ने जर्मनी को 5-4 से मात दी है. भले ही मैच के पहले मिनट में पहला गोल जर्मनी ने दागा हो लेकिन मैच का अंत टीम इंडिया ने किया.
जीत में सभी खिलाड़ियों का योगदान रहा, लेकिन पांच स्टार ऐसे रहे जिन्होंने पूरे खेल को पलट दिया.
आइए आपको भारतीय पुरुष हॉकी टीम के 'पंच प्यारे' से मिलवाते हैं.
पीआर श्रीजेश टीम इंडिया के दीवार बनकर उभरे. उन्होंने जर्मन खिलाड़ियों के 13 में से 9 अटैक रोके.
भारत के लिए सिमरनजीत सिंह ने दो गोल किए. पहला गोल 17वें मिनट पर और दूसरा 34वें मिनट पर. सिमरनजीत सिंह ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई.
जर्मनी ने 24वें मिनट पर दूसरा गोल दागा था और देखते-देखते एक मिनट के अंदर लगातार तीसरा गोल फुर्क बेनेडिक्ट ने 25वें मिनट में किया. एक वक्त ऐसा लगा कि मानो मैच में टीम इंडिया ने पिछड़ गई, लेकिन तब ही 27वें मिनट में सिमरनजीत सिंह ने पैनल्टी कॉर्नर पर शॉट खेला जिसे जर्मनी के गोलकीपर ने रोका लेकिन गेंद रिफ्लेक्ट हुई और हार्दिक ने फायदा उठाकर सीधा गोल पोस्ट में भेज दिया.
दूसरे क्वार्टर के खत्म होने से पहले 29वें मिनट में हरमनप्रीत ने शानदार गोल कर 3-3 के बराबरी पर भारक को ला दिया.
भारत को लीड दिलाने में रुपिंदर का अहम रोल रहा. रुपिंदर ने 31वें मिनट में गोलकर भारतीय स्कोर को मजबूत किया.
भारतीय हॉकी टीम आखिरी बार साल 1980 के मास्को ओलंपिक के फाइनल में पहुंची थी. लेकिन टोक्यो ओलंपिक में इन 'पंच प्यारे' ने पूरा खेल ही पलट दिया और भारत के झोली में ब्रॉन्ज मेडल दे दिया.
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