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भारतीय क्रिकेट टीम ने अंडर 19 वर्ल्ड कप 2024 (Under World Cup 2024) के फाइनल में अपनी जगह बना ली है. फाइनल में खिताब के लिए टीम इंडिया का मुकाबला आस्ट्रेलिया से होगा. भारत ने सेमीफाइनल में मेजबान साउथ अफ्रिका को 2 विकेट से हराया था. भारत की तरफ से मैच के हीरो और 'प्लेयर ऑफ द मैच' खुद कप्तान उदय सहारन (Uday Saharan) रहे थे. उन्होंने 81 रनों की शानदार पारी खेली थी. चलिए आपको यहां उभरते सितारे उदय सहारन के बारे में बताते हैं. हम उनके हालिया फॉर्म के साथ-साथ आपको उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी बताएंगे.
उदय सहारन भारत के अंडर 19 क्रिकेट टीम के कप्तान और दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं. उनका पुरा नाम उदय प्रताप सहारन है. उनका जन्म 8 सितंबर 2004 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिला में हुआ.
कप्तान उदय मौजूदा अंडर 19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं. टूर्नामेंट में उदय ने लगभग 65 की औसत से 389 रन बनाए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उदय राजस्थान के श्रीगंगानगर के निवासी हैं. उदय की सातवीं कक्षा तक की प्रारंभिक शिक्षा श्रीगंगानगर के ही किड्स कैंप कॉन्वेंट स्कूल से हुई है. उन्होंने सातवीं कक्षा के बाद फाजिल्का के आत्म वल्लभ पब्लिक स्कूल से आठवीं और नौवीं क्लास की पढ़ाई पूरी की.
उदय के करियर में बठिंडा का अहम स्थान रोल है. यहां से उदय के क्रिकेट में निखार आना शुरू हुआ. उदय बठिंडा से ही बीए सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं.
पिता संजय सहारन ही उदय के कोच भी हैं. श्री गंगानगर में उनके आयुर्वेदिक डॉक्टर पिता अपनी क्रिकेट एकेडमी चलाते थे. जब उदय छोटे बच्चे थे तब ही पिता ने उन्हें क्रिकेट से परिचित कराया गया था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पिता ने बताया है कि
अनुसार उदय ने 11 साल की उम्र में पहली बार जिला क्रिकेट एसोसिएशन फाजिल्का की तरफ से खेला था. उदय ने अंडर-14 के लिए पंजाब के बठिंडा में ट्रॉयल्स दिया, जिसमें पंजाब की तरफ से उनका चयन हुआ .
उदय ने अंडर-14 में बेहतर प्रदर्शन करते हुए अंडर-16 में भी अपना स्थान पक्का किया. उन्होंने उस समय नॉर्थ जोन में पंजाब की तरफ से खेलते हुए एक पारी में सार्वधिक रन बनाए थे. इसके बाद से वह आगे बढ़ते गए. फिर उनका सेलेक्शन अंडर-19 वनडे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के कप्तान के रूप में हुआ.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पिता कहते हैं कि 11 साल की उम्र में शुभमन गिल की तरह उदय ने भी अपना रास्ता चुन लिया था. वह पंजाब के फाजिल्का चले गए जो उनके गांव से 80 किमी दूर था.
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