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टोक्यो पैरालिंपिक में भारतीय डिस्कस थ्रोअर (Discus Thrower) विनोद कुमार (Vinod Kumar) के कांस्य पदक (Bronze Medal) को अमान्य घोषित कर दिया गया है. प्रतियोगिता के तकनीकी पैनल द्वारा विकलांगता वर्गीकरण मूल्यांकन में विनोद कुमार अपात्र पाए गए हैं.
विनोद ने 29 अगस्त को पुरुषों डिस्कर थ्रो F 52 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था, लेकिन कुछ देशों द्वारा विरोध जताने पर रिजल्ट को होल्ड पर रख दिया गया था.
पैरालंपिक खेलों में खिलाड़ियों के भाग लेने के लिए कुछ नियमावली बनाई गई हैं जिसके अनुसार विनोद कुमार क्वालीफाई नहीं कर पाए.
नियमावली के अनुसार F 52 स्पर्धा में वो एथलीट ही हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है, जिनका कोई अंग कटा हो या उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट हो या हाथों या पैरों की लंबाई में अंतर हो, जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा ले सकें. ऐसे खिलाड़ियों की मूवमेंट भी सीमित होनी चाहिए.
विनोद कुमार ने 29 अगस्त को टोक्यो पैरालंपिक में 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ F 52 प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया था. वे इसी के साथ नया एशियाई रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके थे.
वो पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर, स्वर्ण पदक) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर, रजत पदक) के पीछे रहे थे.
जापान की राजधानी टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक खेलों में भारत अब तक कुल 7 मेडल के साथ फिलहाल 34 वें स्थान पर है. भारत अब तक 2 स्वर्ण, 4 रजत और 1 कांस्य पदक अपने नाम कर चुका है. इससे पहले भारत की अवनि लेखरा और सुमित अंतिल ने स्वर्ण पदक जीता.
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