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वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) ने डोपिंग के आरोप में रूस पर 4 साल तक वैश्विक खेलों में हिस्सा लेने पर बैन लगा दिया है. सोमवार 9 दिसंबर को स्विट्जरलैंड में लुजाने में WADA के मुख्यालय में हुई कार्यकारी समिति की बैठक में एकमत से रूस पर सभी बड़े खेल टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेने पर रोक लगाने का फैसला किया गया.
यानी रूस 2020 के टोक्यो ओलंपिक और 2022 के फुटबॉल विश्व कप समेत किसी भी बड़े खेल आयोजन का हिस्सा नहीं बन पाएगा. रूसी खिलाड़ियों के खिलाफ डोपिंग की शिकायतों और उसको निपटाने में रूसी डोपिंग एजेंसी की नाकामी के बाद ये बैन लगाने का फैसला किया है.
WADA के प्रवक्ता जेम्स फिट्जजेराल्ड ने कहा,
हालांकि रूस पर इस बैन के खिलाफ अपील करने के लिए 21 दिन का समय है.
रूस पर इस प्रतिबंध के बावजूद रूसी खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा ले सकते हैं. फैसले के मुताबिक रूसी खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में तटस्थ खिलाड़ी के तौर पर भाग ले सकते हैं यानी वो रूसी झंडे के बजाए किसी तटस्थ झंडे या इंटनरनेशनल ओलंपिक कमेटी के तहत हिस्सा ले सकेंगे.
फिट्जजेराल्ड ने कहा, ‘‘उन्हें यह साबित करना होगा कि वे रूसी डोपिंग कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थे जैसा कि मैकलारेन रिपोर्ट में कहा गया है या उनके नमूनों में हेराफेरी नहीं की गयी थी.’’
मैकलारेन रिपोर्ट 2016 में जारी की गयी थी जिसमें रूस में विशेषकर 2011 से 2015 तक सरकार प्रायोजित डोपिंग का खुलासा किया गया था. रूस पर 2015 से ही एक राष्ट्र के तौर पर खेलने पर प्रतिबंध है.
इस प्रतिबंध के बाद भी हालांकि रूस यूरो-2020 फुटबॉल में हिस्सा ले सकेगा, क्योंकि यूरोप की फुटबॉल संस्था UEFA को खेल के बड़े आयोजकों में नहीं गिना जाता है.
हालांकि WADA ने ये भी साफ किया है कि बैन की टाइमिंग के मद्देनजर लुजाने में जनवरी 2020 में होने वाले विंटर यूथ ओलंपिक गेम्स में ये प्रतिबंध लागू नहीं होगा.
साथ ही रूस 2032 में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए दावा भी नहीं कर पाएगा.
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