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दुबई में चल रहे एशिया कप में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की टीम लगातार दूसरा मैच हार गई. हो सकता है कि आगे आने वाले मैचों में वो भारत को हरा भी दे लेकिन क्रिकेट फैंस के लिए निराशा इस बात की है कि पहले दोनों मैच में पाकिस्तान ने बड़ी ही आसानी से भारतीय टीम के सामने घुटने टेक दिए.
भारत ने पाकिस्तान को पहले मैच में 8 विकेट से हराया और दूसरे मैच में 9 विकेट के बड़े अंतर से. दोनों ही मैचों में भारतीय पारी के काफी ओवर अभी बचे हुए थे. अब थोड़ा ‘फ्लैशबैक’ में चलते हैं. याद कीजिए 1992 का विश्व कप हो या 1986 में शारजाह में मैच की आखिरी गेंद. 80 और 90 के दशक में ऐसे तमाम मैच हैं जो पाकिस्तान की टीम ने अप्रत्याशित ढंग से जीते.
1992 के विश्व कप में पाकिस्तान की टीम टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर थी. वहां से निकलकर उसने कप पर कब्जा किया था. शारजाह में जावेद मियांदाद का आखिरी गेंद पर छक्का तो भारतीय क्रिकेट फैंस को अब भी याद है. विश्व क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कम से कम दर्जन भर उदाहरण दर्ज हैं.
पाकिस्तान की टीम ने इस टूर्नामेंट में शानदार शुरूआत की थी. हॉन्गकॉन्ग की टीम के खिलाफ उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन सुपर-फोर में अफगानिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान की टीम को जीत के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी. अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की गेंदबाजी के खिलाफ 250 रनों से पार का स्कोर खड़ा किया और उसके बाद उसके गेंदबाजों ने आखिरी ओवर तक मैच में उलटफेर की उम्मीद कायम रखी. पाकिस्तान की टीम से जो गलतियां हुईं वो सभी मैचों में दिखीं.
पाकिस्तान की टीम सिर्फ एक स्पेशलिस्ट स्पिनर के भरोसे टूर्नामेंट में उतरी
एशिया कप में स्पिन गेंदबाजों ने अपनी अपनी टीमों को कामयाबी दिलाई
पाकिस्तान की बल्लेबाजी जरूरत से ज्यादा टॉप ऑर्डर पर निर्भर दिखी
बेजान पिचों पर तेज गेंदबाज उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए
पाकिस्तान को अब 26 सितंबर को बांग्लादेश के खिलाफ मैच खेलना है. एक तरह से ये टूर्नामेंट का सेमीफाइनल मैच है. बांग्लादेश की टीम उलटफेर में माहिर है. उसने पाकिस्तान की कमजोरियों को करीब से देख लिया है. बांग्लादेश ने भी टूर्नामेंट की शुरूआत में श्रीलंका को बड़े अंतर से हराकर अपनी तैयारियों का सबूत दिया है. निश्चित तौर पर पाकिस्तान के लिए ये मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है लेकिन अगर पाकिस्तान की टीम जीत कर फाइनल में पहुंचती है तो उससे जीत या हार से पहले इस बात की उम्मीद होगी कि वो मैदान में विरोधी टीम को कम से कम चुनौती तो दे.
पिछले करीब एक दशक से पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला गया है. मार्च 2009 में श्रीलंका की टीम पर पाकिस्तान में आतंकवादी हमला हुआ था. उस हमले में श्रीलंकाई खिलाड़ी घायल भी हुए थे. बड़ी मुश्किल से वो वापस अपने देश पहुंचे. इसके बाद से ही पाकिस्तान में क्रिकेट की असमय मौत हो गई.
बड़ी अंतरराष्ट्रीय टीमों ने पाकिस्तान का दौरा बंद कर दिया. लाहौर, कराची, फैसलाबाद, मुल्तान, पेशावर जैसे शहरों में बने खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम सूने पड़ गए. पाकिस्तान की टीम ज्यादातर समय दुबई में खेलती है. इन हालातों में पाकिस्तान के घरेलू क्रिकेट पर भी असर पड़ा है. अफसोस इस बात का है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और वहां की सरकार की तरफ से कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए कि पाकिस्तान में क्रिकेट का जो सूखा पड़ा है उसे दूर किया जाए. बड़े पैमाने पर ऐसे कदम उठाए जाएं कि अंतरराष्ट्रीय टीमों में सुरक्षा को लेकर वो भरोसा पैदा हो कि वो पाकिस्तान के दौरे के लिए तैयार हों. हाल ही में पाकिस्तान में सरकार बदली है. पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान दिग्गज क्रिकेटर रहे हैं. देश की तमाम राजनीतिक चुनौतियों के अलावा उनके सामने ये भी चुनौती है कि वो पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली कराएं.
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