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टोक्यो ओलंपिक में भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया ने मेंस फ्रीस्टाइल 65 किग्रा इवेंट का ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया है. उन्होंने कजाकिस्तान के दौलेट नियाजबेकोव को 8-0 से हरा दिया है. इस तरह भारत के झोली में अब कुल 6 मेडल आ चुके हैं.
दौलेट नियाजबेकोव ने इससे पहले रेपेचेज राउंड में सेनेगल के डायटा को 10-0 के स्कोर से हराया. बता दें नियाजबेकोव को डर्टी फाइट के लिए जाना जाता है. लेकिन पूनिया के सामने इस बार पूरी तरह सरेंडर दिखे. पूनिया ने उनके ऊपर आक्रामकता के साथ दांव लगाए, वहीं नियाजबेकोव के दांव ही बड़ी मुश्किल से लगाने को मिले, उन्हें भी बजरंग ने अच्छे ढंग से टेकल किया और अंक नहीं लेने दिया.
नियाजबेकोव का बजरंग के साथ इतिहास रहा है. बजरंग 2019 विश्व चैंपियनशिप में नियाजबेकोव से हार गए, जिसे तब से कुश्ती के जानकारों द्वारा 'डर्टी फाइट' कहा गया था.
बजरंग ने 2 महीने पहले AliAlyev2021 में नियाजबेकोव को मात दी थी.
बजरंग पुनिया को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा. पुनिया का मुकाबला तीन बार के वर्ल्ड चैंपियन अजरबैजान के हाजी अलीयेव से था.हाजी अलीयेव ने उन्हें 5-12 के अंतर से हराया था.
टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए सबसे बड़ा झटका बजरंग पुनिया की घुटने की चोट रही. बजरंग अपने लिगामेंट को कुछ दबाव से बचाने के लिए दाहिने घुटने पर काफी पट्टी बांध कर टोक्यो में मुकाबले लड़े है. असामान्य रूप से, कल अपने पहले सेमीफाइनल मैच के दौरान, बजरंग अंतिम मिनट में हाफ रहें थें. कुश्ती शुद्धतावादियों ने चेतावनी दी है कि कजाकिस्तान'डर्टी फाइटर' के रूप में जाने जाते हैं और नियाज़बेकोव किसी कीमत पर ब्रॉन्ज के लिए जाते- इसके लिए उन्होंने बजरंग के दाहिने घुटने को निशाना बनाया.
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