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सवाल सिर्फ इस बात का नहीं है कि चेतेश्वर पुजारा ने सिडनी टेस्ट मैच में शानदार 193 रन बनाए. सवाल इस बात का भी नहीं है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में पांच सौ से ज्यादा रन बना लिए हैं या ऑस्ट्रेलिया में एक सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में वो टॉप-3 में आ गए. सवाल इस बात का है कि इस सीरीज में बल्लेबाजी के लिहाज से उन्होंने ‘इम्पैक्ट’ डाला है. टीम इंडिया जिस मजबूत स्थिति में खड़ी है उसमें चेतेश्वर पुजारा का बहुत बड़ा योगदान है.
ये लंबे समय बाद हुआ है जब किसी सीरीज में बल्लेबाजी को लेकर विराट कोहली से ज्यादा चर्चा चेतेश्वर पुजारा के नाम पर है. एडिलेट टेस्ट मैच में उन्होंने शतक लगाया, टीम इंडिया को जीत मिली. मेलबर्न में उन्होंने शतक लगाया, भारत फिर जीता. अब सिडनी में वो भले ही अपने दोहरे शतक से चूक गए लेकिन उनके बल्ले से निकले रनों ने इस बात को सुनिश्चित कर दिया कि अब भारतीय टीम इस टेस्ट मैच में हारेगी नहीं. चेतेश्वर पुजारा की ‘सॉलिड’ बल्लेबाजी की बात करें तो इससे पहले इस सीरीज में उनके प्रदर्शन के आंकड़े देख लेते हैं.
* एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में 123 और दूसरी पारी में 71 रन बनाए
* मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में 106 रन बनाए
* सिडनी टेस्ट में 193 रन बनाए, दोहरे शतक से चूके
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में एक सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में भी चेतेश्वर पुजारा तीसरे पायदान पर आ गए. उनके आगे विराट कोहली और राहुल द्रविड़ हैं. टॉप-5 बल्लेबाजों के आंकड़े देखते हैं.
इस सीरीज में लगाए गए तीन शतकों के साथ ही चेतेश्वर पुजारा के अंतरराष्ट्रीय टेस्ट शतकों की संख्या 18 हो गई. वो साढ़े पांच हजार रनों के करीब भी पहुंच गए हैं.
इस सीरीज में चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी में वो परिपक्वता दिखी जिसके लिए वो जाने जाते हैं. अलग-अलग मिजाज की पिचों पर उन्होंने अपनी बल्लेबाजी को बेहतर तरीके से ढाला. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों के साथ-साथ स्पिनर नेथन लॉयन को बेहतर तरीके से खेला. कुछ समय पहले तक पुजारा के स्ट्राइक रेट को लेकर विराट कोहली को शिकायत रहती थी, विराट कोहली को लगता था कि पुजारा क्रीज पर समय तो खूब बिताते हैं लेकिन उस तरह से रन नहीं बनाते, जिसके चलते उनके आउट होने की सूरत में टीम दबाव में आ जाती है.
इस सीरीज में पुजारा ने इस शिकायत को दिमाग में रखकर बल्लेबाजी की. उनका स्ट्राइक रेट 40 से ज्यादा का है. यहां ये बताना जरूरी है कि मेलबर्न टेस्ट में जिस तरह की पिच थी उसमें तेजी से रन बनाने की कोशिश करना भी बेवकूफी थी. यही वजह थी कि सभी बल्लेबाजों ने अपेक्षाकृत धीमी बल्लेबाजी की थी. इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस सीरीज में विराट कोहली जैसे आक्रामक बल्लेबाज का स्ट्राइक रेट 41.22 का है. जो चेतेश्वर पुजारा से भी कम है. इससे पहले साल 2018 में भारत ने दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में जो एक-एक टेस्ट मैच जीता था उसमें भी चेतेश्वर पुजारा का अहम योगदान था. सीरीज के खत्म होने के बाद पुजारा की आईसीसी रैंकिग्स में भी और सुधार होना चाहिए. फिलहाल वो विश्व के चौथे नंबर के बल्लेबाज हैं.
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