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हनुमा विहारी: जब पिता के निधन पर भी खेले थे फाइनल, विराट भी मुरीद

विहारी घायल होने पर भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिच पर डटे रहे और मैच ड्रॉ कराया

क्विंट हिंदी
क्रिकेट
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हनुमा विहारी ने पहली बार नहीं दिया शौर्य और धैर्य का परिचय
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हनुमा विहारी ने पहली बार नहीं दिया शौर्य और धैर्य का परिचय
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हैमस्ट्रिंग चोट के बावजूद सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (CSG) पर तीसरे टेस्ट मैच के पांचवें दिन सोमवार को खेली गई जुझारू और मैच ड्रॉ कराने वाली पारी ने हनुमा विहारी के टेस्ट करियर पर असर डाला है. चोट के कारण वो चौथा टेस्ट नहीं खेल पाएंगे लेकिन तीसरे टेस्ट के आखिरी दिन उन्होंने जो खेल दिखाया, उसकी दुनिया मुरीद हो गई. लेकिन ऐसा नहीं है कि हनुमा ने कोई पहली बार धैर्य और शौर्य का प्रदर्शन किया है.

पिता के निधन पर भी खेले थे फाइनल

कप्तान विराट कोहली ने सीरीज शुरू होने से पहले स्टीव स्मिथ के साथ बातचीत में कहा था कि विहारी एक ऐसे खिलाड़ी थे जिसे वह टेस्ट सीरीज के दौरान आगे देखना चाहते थे. कोहली को उनकी और उनके धर्य को पसंद करने का एक कारण हो सकता है.

कोहली जब 18 साल के थे, तो रणजी ट्रॉफी के दौरान उनके पिता का निधन हो गया था. विहारी भी जब 10 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था. 2006 में अपने पिता के निधन के बावजूद कोहली रणजी ट्रॉफी में कर्नाटक के खिलाफ खेले थे. विहारी भी अपने पिता के निधन के बावजूद स्कूल फाइनल के मैच में खेले थे. विहारी के बचपन के कोच जॉन मनोज ने कहा,

वह बहुत धर्यवान है. अपने पिता के निधन के बावजूद वह स्कूल के फाइनल मैच में खेले थे और 80 रन बनाए थे. वह शुरू से ही ²ढ़ संकल्पी था. उनकी मां ने दिवंगत पिता के पेंशन के सहारे उन्हें समर्थन किया है.
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161 गेंदों पर 23 रन

विहारी ने 161 गेंदों पर नाबाद 23 रन बनाए, जो कि दोहरे अंकों में पहुंचने का टेस्ट इतिहास का सबसे कम आंकड़ा है.

विहारी ने अपने 12 टेस्ट मैचों में अब तक केवल एक ही टेस्ट भारत में खेला है. महत्वपूर्ण बात यह है कि विहारी टीम की जरूरतों के हिसाब से बल्लेबाजी करते हैं.

2018 में पिछली बार आस्ट्रेलिया दौरे पर विहारी पहले दो टेस्ट में विफल रहे थे. इसके बाद उन्हें ओपनिंग करने के लिए भेजा गया और उन्होंने उस समय भी ऐसी ही पारी (सोमवार को तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी) खेली थी.

विहारी संयोग से, ऑस्ट्रेलिया 2012 में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जोकि सीनियर भारतीय टीम में हैं. उस टूर्नामेंट में उनका औसत 11.83 का ही था. लेकिन विहारी ने घरेलू क्रिकेट में 56.75 की औसत से रन बनाए हैं.

मनोज ने कहा, " जब वह उस विश्व कप से स्वदेश लौटे थे तो उन्होंने हमेशा अपना ध्यान केंद्रित किया था. उनका लक्ष्य देश के लिए खेलने का था. हमें उन पर भरोसा था और हम उन्हें हमेशा प्रेरित करते थे और आज ये पारी इसका परिणाम है."IndVAus:पंत, विहारी-घायल शेरों ने कंगारुओं के मुंह से छीन ली जीत

(IANS के इनपुट्स के साथ)

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Published: 11 Jan 2021,11:44 PM IST

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