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इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) इस साल 26 मार्च से अपने पंद्रहवें संस्करण में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है. क्रीकेट के रोमांच से भरपूर इस लीग ने अपने रंग, स्वभाव और ऊर्जा से सभी को चकाचौंध कर दिया है.
हार्दिक पांड्या, रविचंद्रन अश्विन,ऋषभ पंत और जडेजा जैसे खिलाड़ियों ने इसे एक मंच का उपयोग शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर बनाने के लिए किया है.
तो यह सब कैसे शुरू हुआ? इतनी बड़ी लीग शुरू करने का विचार किसका था? आइए जानते हैं.
आईपीएल के जैसा ही एक आईडिया सबसे पहले 1996 में आया था. मोदी एंटरटेनमेंट नेटवर्क ने ईएसपीएन के साथ एक साझे बिजनस में प्रवेश किया था. बीसीसीआई ने भारत के मैचों के प्रसारण के अधिकार ईएसपीएन को बेच दिए थे.
1996 में मोदी ने अपने सपने को साकार करने का फैसला किया. उन्होंने इंडियन क्रिकेट लीग नामक की लीग ड्रा की. प्रतियोगिता 50 ओवर के टूर्नामेंट में आठ शहर-आधारित टीमों के बीच होने वाली थी. उन्होंने फैसला किया कि टीमों को फ्रेंचाइजी के रूप में बेचा जाएगा और ईएसपीएन मैचों का प्रसारण करने के साथ-साथ बीसीसीआई को सालाना रॉयल्टी का भुगतान करेगा. बीसीसीआई ने लीग के लिए अपनी मंजूरी भी दे दी.
इसके बाद, मोदी ने आवश्यक खिलाड़ियों को बोर्ड में लाने के लिए बड़ी रकम खर्च की. हालांकि, उस दौरान बीसीसीआई के एक मानद अधिकारी ने एक प्रक्रिया के लिए रिश्वत मांगी और मोदी ने इससे इनकार कर दिया. कोलंबिया बिजनेस स्कूल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना ने इंडियन क्रिकेट लीग के सभी दरवाजे बंद कर दिए और यही पर ये प्लान खत्म हो गया.
2007 तक क्रिकेट नाटकीय रूप से बदल गया था. 20-20 नाम के एक नए फॉर्मेट ने क्रिकेट जगत में तूफान ला दिया था. इस बार ललित मोदी ने अपने मूल विचार में थोड़ा बदलाव किया. उन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग नाम की एक T-20 लीग शुरू करने का फैसला किया. अब ललित मोदी बीसीसीआई के उपाध्यक्ष थे. इस बार ज्यादा अड़चन नहीं आई क्योंकि उनके पास फैसले लेने की शक्ति थी.
कोलंबिया बिजनेस स्कूल की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें इसके लिए कोई वेतन नहीं दिया गया था और इंडियन प्रीमियर लीग से संबंधित काम के लिए खर्च किए गए अपने सभी व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करना था और बदले में, मोदी चाहते थे कि बीसीसीआई आईपीएल के कामकाज से दूर रहे.
लॉन्च के दौरान, मोदी ने बताया कि टूर्नामेंट कैसे खेला जाने वाला है - फ्रेंचाइजी की संख्या, मैचों की संख्या, एक टीम में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या आदि. दिलचस्प बात यह है कि मोदी ने औपचारिक रूप से खिलाड़ियों, फ्रेंचाइजी, प्रायोजकों और प्रसारकों की व्यवस्था किए बिना आईपीएल की घोषणा कर दी थी.
सौभाग्य से मोदी के लिए विश्व टी20 का पहला संस्करण सितंबर 2007 में दक्षिण अफ्रीका में शुरू होने वाला था. उन्होंने उस समय दुनिया के टॉप 100 खिलाड़ियों को उनकी कमाई और कौशल सेट के अनुसार चार श्रेणियों में बांट दिया. चार श्रेणियों को चार अलग-अलग वेतन स्लैब के तहत रखा गया था- 1 लाख डॉलर, 2 लाख डॉलर, 3 लाख डॉलर और 4 लाख डॉलर.
ये वेतन पहली आईपीएल नीलामी में खिलाड़ियों के लिए निर्धारित बेस प्राइज थे. विश्व टी20 के दौरान, मोदी ने खिलाड़ियों से मुलाकात की और उन्हें उनके वेतन और आईपीएल के अन्य फायदों के बारे में बताया.
मोदी जानते थे कि दुनिया भर के विभिन्न क्रिकेट बोर्डों को अपने खिलाड़ियों को साल में लगभग दो महीने भारत की यात्रा करने की अनुमति देनी होगी. इसलिए, तुरंत उन्होंने विभिन्न क्रिकेट बोर्डों के प्रशासकों से मुलाकात की. इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) को छोड़कर सभी बोर्ड मान गए थे.
कोलंबिया बिजनेस स्कूल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जहां तक फ्रेंचाइजी का सवाल है, मोदी ने अपने स्कूल के दोस्त शाहरुख खान से संपर्क किया और उनसे पूछा कि क्या वह फ्रेंचाइजी खरीदने में दिलचस्पी रखते हैं. बाद में, मोदी प्रीति जिंटा से मिलने थाईलैंड गए, जो अपने प्रेमी नेस वाडिया के साथ फुकेत में छुट्टियां मना रही थीं.
ये तीनों टीम के मालिक बन गए. जब ललित मोदी ने प्रसारकों के लिए एक योजना तैयार कर ली तो ये लीग पूरी तरह से तैयार हो गया. पहला आईपीएल मैच 18 अप्रैल 2008 को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच खेला गया था.
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