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बॉर्डर-गवास्कर ट्रॉफी के चौथे और आखिरी टेस्ट मैच में टी-20 और वनडे मैच जैसा रोमांच देखने को मिला. टीम इंडिया ने आक्रामक बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 3 विकेट से हराते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की. ये जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि 33 साल बाद किसी टीम ने गाबा मैदान पर ऑस्ट्रेलिया को हराया है. आइए जानते हैं भारत की जीत के हीरो कौन रहे.
ब्रिस्बेन टेस्ट में ऋषभ पंत ने दोनों पारी में आक्रामक खेल दिखाया. जहां पहली पारी में उन्होंने 29 गेंदों में 23 रन बनाए, वहीं दूसरी पारी में 138 गेंदों में निणार्यक 89 रनों की पारी खेली. दूसरी पारी में तेजी से बनाए गए उनको रनों से ही भारत ने जीत का स्वाद चखा है.
गाबा में पुजारा भारत की दीवार बनकर चोट सहते हुए पिच पर टिके रहे और भारत को जीत की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाई. पुजारा ने पहली पारी में 25, तो दूसरी पारी में 56 रनों की अहम पारी खेलते हुए टीम इंडिया को सधी हुई ठोस शुरूआत दिलाई. गाबा में आखिरी दिन पुजारा चोट के बावजूद भारत के लिए जुझारू पारी खेलते हुए नजर आए. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने पुजारा को टारगेट करके बॉलिंग की, गेंद उनके सिर, पसली, उंगली और हेलमेट पर लगी. बावजूद इसके पुजारा दर्द के साथ मैदान पर डटे रहे.
भारतीय टीम के युवा ओपनिंग बैट्समैन शुभमन गिल ने 91 रनों की शुरूआती पारी खेलते हुए टीम की नींव को मजबूज बनाने का काम किया. गिल ने 62.33 के स्ट्राइक रेट से 146 गेंद खेलते हुए 91 रन बनाए. गिल ने जिस आक्रामकता से मैच खेला, उससे परिणाम भारत के पक्ष में झुकने लगा था. इस शानदारी पारी के दौरान गिल ने रिकॉर्ड्स भी अपने नाम किए हैं.
गाबा की ऐतिहासिक जीत सिराज के बिना पूरी नहीं हो सकती थी. सिराज ने घातक गेंदबाजी करते हुए दूसरी पारी में 19.5 ओवरों में 73 रन देकर 5 विकेट झटके थे. उनकी सटीक गेंदबाजी के आगे कंगारु खुलकर नहीं खेल पाए और बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रहे.
अनुभवी गेंदबाजों की अनुपस्थिति में जिस तरह से शार्दुल ठाकुर ने प्रदर्शन किया वह काबिले तारीफ रहा. गाबा टेस्ट की पहली पारी में 3 तो दूसरी पारी में उन्होंने 4 विकेट लेते हुए ऑट्रेलियाई बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी.
ब्रिस्बेन में सुंदर और नटराजन ने भी कमाल का प्रदर्शन किया. पहली पारी में नटराजन और सुंदर ने 3-3 विकेट चटकाने में सफलता पाई.
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