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ग्लेन मैक्सवेल की तूफानी और करिश्माई पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया के खिलाफ दूसरा टी-20 मैच जीत लिया. इस जीत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने टी-20 सीरीज पर भी कब्जा कर लिया. घरेलू मैदान में विराट कोहली के विजय रथ पर भी लगाम लग गई. इससे पहले अलग-अलग फॉर्मेट में पिछली 15 सीरीज से भारतीय टीम अपराजेय थी.
बुधवार को खेले गए दूसरे टी-20 मैच में टीम इंडिया को अकेले ग्लेन मैक्सवेल ने हरा दिया. जिन्होंने 191 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ 55 गेंद पर 113 रन बनाए. टी-20 सीरीज के बाद अब टीम इंडिया को कंगारुओं के खिलाफ 5 वनडे मैचों की सीरीज खेलनी है, जिसका पहला मैच 2 मार्च को खेला जाएगा.
इन 3 कमियों की वजह से ही टीम इंडिया का संतुलन ठीक नहीं बन रहा है. इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि हार खिलाड़ियो के मनोबल पर खराब असर डालती है. ऐसे में प्रयोगधर्मिता के बीच टीम इंडिया जितनी जल्दी जीत की राह पर लौटे उतना अच्छा है. बस, पहले अपनी गलतियों को पहचानना होगा.
20 ओवर में 191 रनों का लक्ष्य कहीं से आसान नहीं होता. बशर्ते आपके पास अच्छे गेंदबाजों की टोली हो. बुधवार को खेले गए मैच में जसप्रीत बुमराह और यजुवेंद्र चहल को छोड़कर बाकि सभी गेंदबाज टीम इंडिया के ‘फ्रंटलाइन’ गेंदबाज नहीं हैं. टीम इंडिया ने मैनेजमेंट ने एक साथ टीम के लगभग सभी फ्रंटलाइन गेंदबाजों को ‘रेस्ट’ दिया है. पांच की बजाए तीन फ्रंटलाइन गेंदबाजों के साथ तो मैदान मारने की सोची जा सकती है, लेकिन सिर्फ दो गेंदबाज कैसे मैच जीताएंगे?
बुधवार को यही हुआ. सच्चाई ये है कि अगर कंगारुओं के सामने 200 रनों का लक्ष्य होता तो भी भारतीय गेंदबाज उसे ‘डिफेंड’ नहीं कर पाती. दो मुख्य गेंदबाजों में भी चहल फॉर्म में नहीं थे. उन्हें 4 ओवरों में 47 रन पड़े, उनके अलावा बाकि तीन गेंदबाजों के आकड़े देखिए-
ये ठीक है कि 2019 विश्व कप की टीम में केएल राहुल को तीसरे ओपनर के तौर पर शामिल किया जाएगा. ये भी ठीक है कि उन्हें कुछ मैचों में मौका मिलना चाहिए. उन्होंने टी-20 सीरीज के दोनों मैचों में शानदार प्रदर्शन भी किया. बावजूद इसके सलामी बल्लेबाजों की नियमित जोड़ी को तोड़ना पड़ा. पहले मैच में शिखर धवन को ‘रेस्ट’ दिया गया और दूसरे मैच में रोहित शर्मा को. रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी का विश्व कप में खेलना 200 फीसदी तय है. केएल राहुल को ‘एडजस्ट’ करने के लिए उनकी जोड़ी के साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए.
इस बात को समझने की जरूरत है कि जब एक खिलाड़ी पर उसकी टीम इस कदर भरोसा कर रही हो तो उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. ऋषभ पंत इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं. टीम मैनेजमेंट उन्हें मौके दे रहा है, जिससे वो खुद को टीम की जरूरत के हिसाब से ढाल लें, लेकिन ऋषभ पंत अब भी अति आक्रामकता का शिकार हैं. बुधवार को खेले गए मैच में तीन गेंद पर मनचाहा ‘गैप’ ना ढूंढ पाने की झुंझलाहट में वो अपना विकेट खोकर आ गए. शॉर्ट का वो ओवर अगर वो निकाल लेते तो उन्हें रन बनाने के मौके आगे भी मिलते, उनके आउट होने के बाद भी मैच में 9 ओवर का खेल बाकि था, लेकिन उन बाकि बचे 9 ओवरों में अपनी आक्रामकता दिखाने से पहले वो पवेलियन के रास्ते में थे.
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