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मोटेरा स्टेडियम में धीरे-धीरे पिच से घास हटा दी गई है, जिसकी कई तस्वीरें इंग्लैंड टीम की मीडिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की हैं. पिच पर अब कुछ ही घास बची है, ऐसे में यह देखना अहम होगा कि इस पिच पर पिंक बॉल किस तरह का व्यवहार करती है.
भारत और इंग्लैंड के बीच बुधवार से इस पिच पर चार मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा टेस्ट शुरू होगा, जोकि डे-नाइट होगा और यह पिंक बॉल से खेला जाएगा. लाल गेंद से पिच के बर्ताव को आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन तीसरे टेस्ट में पिंक बॉल किस तरह का बर्ताव करेगी, यह कोई नहीं जानता.
हालांकि रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारा ने इस हफ्ते कहा था कि इस पिच पर पिंक बॉल किस का बर्ताव करेगी, इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन शाम के समय इससे सतर्क रहना होगा, खासकर तब जब गेंद नई होती है और तापमान में गिरावट देखने को मिलती है.
एसजी बॉल के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद ने कहा, "आम तौर पर गुलाबी गेंद पर चमक लंबे समय तक रहती है क्योंकि इसमें रंगद्रव्य की कई कोटिंग्स होती हैं क्योंकि गुलाबी रंग का चमड़ा लाल रंग के चमड़े (लाल गेंद के मामले में) के विपरीत सुस्त होता है जो चमकीला होता है. पिंक बॉल पर दो कोट्स होते हैं. इसमें एक बिना कलर के और चार कोट्स पिंक कलर के होते हैं, जिस पर लैकर (एक खास तरल, जोकि किसी लकड़ी, शीशा या फिर चमड़े को चमकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. चमक लाने के लिए इन चीजों पर इसकी मल्टीपल कोटिंग की जाती है) के कोट्स लगाए जाते हैं. इसी वजह से गुलाबी गेंद लाल गेंद की तुलना में लंबे समय तक चमकती रहती है."
मेरठ स्थित एसजी कंपनी जो बॉल बनाती है, उसका इस्तेमाल भारत में टेस्ट क्रिकेट और घरेलू टूर्नामेंटों में किया जाता है. आनंद ने कहा, "रेड बॉल पर कलर का कोट्स नहीं होता है. केवल लाल रंग का चमड़ा होता है. इसके बाद इसे चमकाने के लिए केवल लैकर का इस्तेमाल किया जाता है."
उन्होंने कहा कि आमतौर पर पिंक बॉल 20-25 ओवर तक चमकती रहती है जबकि रेड बॉल केवल 10-15 ओवर तक ही चमकती है. इसका मतलब है कि तेज गेंदबाजों को पिंक बॉल से ज्यादा ओवर करने के लिए मिलेंगे.
टेस्ट क्रिकेट में तीन तरह की गेंदों का इस्तेमाल होता है. इनमें ड्यूक गेंदें इंग्लैंड में बनाई जाती हैं, जबकि भारत में एसजी पिंक बॉल टेस्ट और कभी कभी बांग्लादेश में भी इसका इस्तेमाल होता है.
तीसरी और सबसे प्रसिद्ध कूकाबुरा गेंद होती है, जोकि सात देशों-ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, जिम्बॉब्वे और बांग्लादेश में इस्तेमाल होती है.
कूकाबुरा के विपरीत, एसजी गेंद के बाहरी सीम, जैसे कि अपने आंतरिक सीम, हाथ से सिले हुए हैं और स्पिनरों के लिए इस गेंद को पकड़ने में आसानी होती है. इसका सीम लंबे समय तक रहता है.
ड्यूक बॉल भी एसजी के समान ही सुंदर है क्योंकि इसका सीम भी स्पष्ट है. हालांकि, यह केवल इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और आयरलैंड में ही इस्तेमाल की जाती है.
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