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बेंगलुरु वनडे में 7 विकेट से जीत दर्ज करके टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को सीरीज में 2-1 से हरा दिया. इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने एक संदेश तो दे ही दिया कि वो सिर्फ श्रीलंका, वेस्टइंडीज या बांग्लादेश जैसी टीमों को नहीं बल्कि बड़ी और मजबूत टीमों को भी हराना जानती है.
पिछले साल ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घर में ही वनडे सीरीज में मिली हार और फिर 2019 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में शिकस्त के बाद ये चर्चा आए दिन होती थी. अब भारतीय टीम की अगली चुनौती न्यूजीलैंड है. 24 जनवरी से शुरू हो रही इस सीरीज में भारत को 5 टी20, 3 वनडे और 2 टेस्ट मैच खेलने हैं.
इससे पहले टीम इंडिया की जीत के उस पहलू पर बात करते हैं जो चर्चा करने लायक है. एक सीरीज, जिसमें मैन ऑफ द सीरीज विराट कोहली रहे, दूसरे मैच में मैन ऑफ द मैच केएल राहुल रहे और आखिरी मैच में रोहित शर्मा ने भी शतक जड़ा, उसमें गेंदबाजों का रोल बहुत शानदार रहा.
डेविड वॉर्नर और एरॉन फिंच ने पहले वनडे में जिस अंदाज में बल्लेबाजी की थी उसके बाद इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि इन दोनों बल्लेबाजों के सामने भारतीय गेंदबाज हल्के पड़ रहे हैं. लेकिन अगले पांच दिनों के भीतर ही भारतीय तेज गेंदबाजों ने अपनी गेंदबाजी के दम पर इस बात को सिरे से खारिज कर दिया.
और उनका सबसे मजबूत हथियार बनी- यॉर्कर.
ये बात बिल्कुल डंके की चोट पर कही जा सकती है कि इतनी सटीक और पैनी ‘यॉर्कर’ गेंद बहुत कम सीरीज में ही देखने को मिलती हैं. आपकी सुविधा के लिए आसान भाषा में बता दें कि जब कोई गेंदबाज बल्लेबाज के स्टंप्स पर निशाना साधकर बिल्कुल उसी के सामने टप्पे वाली गेंद फेंकता है उसे यॉर्कर कहते हैं. जो फुल लेंथ डिलेवरी होती है. बल्लेबाज के पैर और बल्ले के बीचों बीच फेंकी गई इस गेंद को खेलना बल्लेबाजों के लिए हमेशा से मुश्किल काम रहा है.
दरअसल, कई बार ऐसा होता है कि यॉर्कर गेंद अगर सटीक ना पड़े तो फुल टॉस में तब्दील हो जाती है. जिस पर शॉट खेलना बल्लेबाज के लिए आसान होता है. विश्व क्रिकेट में जोएल गार्नर, वसीम अकरम, वकार यूनिस, इवान चैटफील्ड, डैनी मॉरिसन, शेन बॉन्ड, ब्रेट ली और लसिथ मलिंगा जैसे गेंदबाज अपनी यॉर्कर गेंदों के लिए विख्यात रहे हैं.
मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह और नवदीप सैनी में सबसे ज्यादा सटीक यॉर्कर गेंद शमी ने डाली. वैसे भी बुमराह चोट के बाद वापसी कर रहे थे इसलिए गेंदबाजी की कमान एक तरह से मोहम्मद शमी के हाथ में ही थी. उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया.
यही वजह है कि सीरीज में उनका इकॉनमी रेट बेहतरीन रहा. जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सिर्फ 4.58 की इकॉनमी से 3 मैच में 120 रन दिए.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 14 जनवरी को मुंबई में खेले गए पहले मैच में भारतीय गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों बेरंग दिखी थी. भारतीय बल्लेबाजों ने ऑस्ट्रेलिया के सामने सिर्फ 256 रनों का लक्ष्य रखा था, जो ऑस्ट्रेलिया ने बिना कोई विकेट खोए 37.4 ओवर में ही हासिल कर लिया था.
भारतीय टीम अब न्यूजीलैंड के दौरे पर रवाना हो रही है. न्यूजीलैंड के लिए चुनी गई टी-20 टीम में मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह और नवदीप सैनी तीनों ही शामिल हैं.
न्यूजीलैंड के इस मुश्किल दौरे में इन तीनों गेंदबाजों की यॉर्कर में अगर यही पैनापन रहा तो इस बात पर मोहर लग जाएगी कि इस समय विश्व क्रिकेट में भारतीय गेंदबाजों से ज्यादा घातक कोई और नहीं.
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