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“उम्मीदें जब खत्म होती भी दिखें तो नाउम्मीद ना होना”- ये शायद मूल मंत्र है मौजूदा सीजन में राजस्थान रॉयल्स का. जिस हैरतअंगेज अंदाज में रॉयल्स ने दिल्ली कैपिटल्स को हराया उससे रॉयल्स के लिए उसी मूल-मंत्र का ध्यान आता है. और उनकी जीत के जो सबसे बड़े चार हीरो रहे हैं वो तो पूरी तरह से इस पर खरा उतरते हैं.
अब सबसे पहले क्रिस मौरिस के बारे में सोचें. इस खिलाड़ी ने पिछले एक दशक में ना जाने कितने मौके पर छोटी लेकिन धुआंधार पारियां खेलीं लेकिन उन्हें कभी भी एक खतरनाक बल्लेबाज के तौर पर देखा नहीं गया. डेथ ओवर्स में उनकी गेंदबाजी के आंकड़े शानदार हैं इसके बावजूद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें पिछले ऑक्शन से पहले बाय-बाय कह दिया. लेकिन, जब रॉयल्स ने उन्हें टीम में शामिल किया तो उनके खेल से ज्यादा चर्चा रही 16.25 करोड़ में टीम में आने की. इतनी रकम पर टीम में आने से युवराज सिंह और दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ी उम्मीदों के दबाव के आगे टूट गये थे लेकिन मौरिस ऐसे नहीं है. आईपीएल के इतिहास में 7वां विकेट खोने के बाद सिर्फ-सिर्फ 2 मौकों पर टीमों ने 40 से ज्यादा रन जुटाये थे. मौरिस ने गुरुवार को 29 रन आखिरी दो ओवर में जोड़े. . इससे ज्यादा रन सिर्फ 1 बार किसी और बल्लेबाज ने आखिरी दो ओवर में जिताने के लिए जुटाये थे जब टीम की नैय्या पूरी तरह से डूब चुकी थी.
लेकिन, मॉरिस ऐसा कर पाये तो उसका आधार डेविड मिलर ने रखा था. मॉरिस की ही तरह मिलर को आईपीएल में वो अहमियत नहीं मिलती है क्योंकि अक्सर ये कहा जाता रहा है कि वो ग्लेन मैक्सवैल की ही तरह उम्मीदों पर अक्सर खरा नहीं उतरते हैं. लेकिन, कैपिटल्स के खिलाफ मिलर ने हर किसी को चौंकाया. इत्तेफाक देखिये कि अगर बेन स्टोक्स फिट होते तो मिलर को प्लेइंग 11 में मौका ही नहीं मिलता!
अपनी रणनीति से चौंकाया तो रॉयल्स ने भी, जब उन्होंने अपने प्लेइंग इलेवन में 1 या 2 नहीं बल्कि तीन-तीन लेफ्ट ऑर्म पेसर को शामिल कर लिया. लेकिन, ऐसा नहीं था ये यूं ही जोश में ले लिया गया फैसला था. दरअसल IPL 2019 से DC से ओपनर लेफ्ट आर्म के खिलाफ सबसे ज्यादा 10 विकेट गंवा चुके थे जिसका मतलब था हर 18वीं गेंद के बाद 1 विकेट खोना और यही वजह थी तीन बायें हाथ के खिलाड़ियों को शामिल करना. मुस्तफिजूर रहमान ने लंबे अर्से के बाद ये दिखाया कि उम्मीदें जब खत्म होती भी दिखें तब भी नाउम्मीद नहीं होना चाहिए. 27 रन देकर 2 विकेट लेने वाले इस बांग्लादेशी गेंदबाज को 2016 के शानदार शुरुआती सीजन के बाद लगातार खेल और फिटनेस से जूझना पड़ रहा था. 2017 और 2018 तो संघर्ष में गुजरा और 2019 और 2020 में एक भी मैच नहीं खेले. ऐसे में ना सिर्फ रॉयल्स ने बल्कि मुस्तफिजूर ने भी गजब की वापसी की है.
पूरे मैच में किसी ने यादगार वापसी की तो वो रहे मैन ऑफ द मैच जयदेव उनाडकट. दरअसल, इन चारों में अगर किसी ने एक ने सबसे ज्यादा इस मूल-मंत्र “उम्मीदें जब खत्म होती भी दिखें तो नाउम्मीद ना होना” को जिया है तो वो उनाडकट ही रहे हैं. एक समय था जब उनाडकट 8.4 करोड़ रुपये ऑक्शन में मिलने के दबाव को झेल नहीं पा रहे थे जिसके चलते रॉयल्स ने उन्हें छोड़ दिया और फिर 3 करोड़ की घटी हुई कीमत पर दोबारा टीम में शामिल किया. लेकिन, उनडकट का पैनापन नहीं घटा. उनडकट ने जीवन और क्रिकेट में कई उतार-चढ़ाव देखें है लेकिन सिर्फ 15 रन देकर 3 विकेट लेने वाले इस खेल को वो अपने पूरे करियर में शायद ही भूलें.
राजस्थान रॉयल्स की ये चौकड़ी दिखाती है अगर आपमें काबिलियत है और आप खुद पर हमेशा यकीन करते हैं तो आलोचकों को चौंकाने के मौके आपको जरूर मिलेंगे. जिस टीम के लिए ये चारों खेलते हैं यानि कि रॉयल्स तो अपने जन्म से ही ऐसा करती आयी है.
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