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बुधवार को आईपीएल (IPL 2021) में खेले गये मैच में मैन ऑफ द मैच का खिताब भले ही ऑस्ट्रेलियाई ग्लैन मैक्सवेल को मिला हो लेकिन इस बात में शायद ही कोई दो राय हो कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के लिए जीत के असली हीरो शाहबाज अहमद ही थे. बड़ी मजेदार बात है कि विराट कोहली की टीम जो हर सीजन कप्तान और एबी डिविलियर्स और कुछ हद तक युजवेंद्र चहल के खेल पर ही अति-निर्भर रहा करती है उस 2021 सीजन के पहले दो मैचों में ऐसे मैच-विनर मिले हैं जिनके बारे में दुनिया की तो छोड़ें भारतीय क्रिकेट फैंस को भी ज्यादा पता नहीं है.
अब शाहबाज को ही देखिए जिसने सिर्फ 2 ओवर के स्पैल में 7 रन देकर तीन विकेट लिए और पूरे मैच को सनसनीखेज तरीके से पलट दिया. शाहबाज ने तो एक ही ओवर के दौरान तीन विकेट झटके और ये तीनों किसी ऐसे-वैसे नहीं बल्कि हैदराबाद के बड़े खिलाड़ियों के विकेट थे. शाहबाज पर कोहली को इतना भरोसा है कि गेंद से पहले उन्होंने बल्ले से भी इस खिलाड़ी को प्रमोशन दे दिया था.
सातंवे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 500 से ज्यादा रन वो भी करीब 37 की शानदार औसत से जिसमें ज्यादातर मौके पर उनकी टीम मुश्किल में घिरी रहती थी, इस बात को साबित करने के लिए शायद काफी है कि इस खिलाड़ी को चुनौतियां पसंद हैं. शाहबाज ने उस सीजन 35 विकेट भी झटके थे.
शाहबाज के अलावा बैंगलोर के लिए हर्षल पटेल भी अचानक गुमनामी से निकल कर सुर्खियों में आ गए हैं. 2 मैचों के बाद 7 विकेट लेने वाले पटेल के पास कभी पर्पल कैप भी हो सकती है , इसके बारे में सोचना भी मुश्किल था.
हैदराबाद के खिलाफ कोहली को इस गेंदबाज की काबिलियत पर कितना भरोसा था कि उन्होंने पहले 10 ओवर में पटेल को गेंद ही नहीं थमाई. अब खुद सोचिए जिस गेंदबाज ने पिछले मैच में 5 विकेट लिए हों और दूसरे मैच में कप्तान एक छोटे से लक्ष्य को डिफेंड कर रहा हो वहां कप्तान ने पटेल को पहले गेंद क्यों नहीं थमायी. इसकी वजह थी पटेल का इस सीजन में डेथ ओवर्स स्पेशलस्ट बनकर उभरना. पटेल को कोहली ने देर से लाने की बजाए उनसे उनके कोटे के पूरे 4 ओवर डलवाये और उन्होंने महज 25 रन खर्च करके 2 विकेट लिए.
अजीब विडंबना है कि जहां घरेलू क्रिकेट के छोटे नाम समझे जाने वाले खिलाड़ियों ने शानदार शुरुआत की ही है वहीं कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो एक दशक से ज्यादा समय तक बेहद प्रतिभाशाली होने का टैग लेकर भी मैच-विनर की भूमिका निभा नहीं पा रहे हैं. लगातार दूसरे मैच में हैदराबाद के लिए मनीष पांडे ने उनकी लुटिया डुबी दी.
ये वही पांडे हैं जिन्हें विराट कोहली के स्तर वाला खिलाड़ी एक समय में माना जाता था. ठीक कुछ वैसा ही जैसे विनोद कांबली को लोग सचिन तेंदुलकर की तरह प्रतिभाशाली माना करते थे. लेकिन, प्रतिभा होना एक बात है और उसे प्रदर्शन में तब्दील करना बिलकुल अलग बात है.
पहले मैच की तरह यहां भी पांडे सेट हो चुके थे, लेकिन अपनी टीम के लिए फिनिशर की भूमिका निभाने में नाकाम हुए. इसलिए हैरानी की बात नहीं है कि हाल ही में जब इंग्लैंड के खिलाफ सफेद गेंद की सीरीज खेली तो पांडे की बजाए सूर्यकुमार यादव और ईशान किशन जैसे खिलाड़ियों को मौका दिया गया. बहरहाल, पांडे के पास मौका है कि आने वाले मैचों में वो अपनी टीम के लिए वैसे ही मैच-विनर की भूमिका निभायें जैसा कि शाहबाज-पटेल की जोड़ी बैंगलोर के लिए दिखा रही है.
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