Home Sports Cricket Robin Minz: कभी चुल्हे की जली लकड़ी से बैट बनाया, अब IPL खेलने वाले पहले आदिवासी बनेंगे
Robin Minz: कभी चुल्हे की जली लकड़ी से बैट बनाया, अब IPL खेलने वाले पहले आदिवासी बनेंगे
झारखंड के गुमला जिले के एक छोटे से आदिवासी गांव के 21 वर्षीय रॉबिन मिंज को आईपीएल की नीलामी में गुजरात टाइटन्स ने 3 करोड़ 60 लाख रुपए में खरीदा.
नसीम अख्तर
क्रिकेट
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Robin Minz: कभी चुल्हे की जली लकड़ी से बैट बनाया, अब IPL खेलने वाले पहले आदिवासी बनेंगे
(फोटोः क्विंट हिंदी)
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झारखंड के गुमला जिले के एक छोटे से आदिवासी गांव के 21 वर्षीय रॉबिन मिंज को आईपीएल (IPL) की नीलामी में गुजरात टाइटन्स ने 3 करोड़ 60 लाख रुपए में खरीदा. नक्सल प्रभावित गुमला जिले के एक छोटे से गांव के एक आदिवासी परिवार का 21 वर्षीय लड़का रॉबिन मिंज आईपीएल की नीलामी के बाद अचानक से चर्चा में आ गया. रॉबिन झारखंड के पहले आदिवासी प्लेयर हैं, जिसे इंटरनेशनल लेवल क्रिकेट लीग खेलने का मौका मिला है.
देखें तस्वीरों में रॉबिन मिंज की क्रिकेट यात्रा.
झारखंड के गुमला जिले के एक छोटे से आदिवासी गांव के 21 वर्षीय रॉबिन मिंज को आईपीएल की नीलामी में गुजरात टाइटन्स ने 3 करोड़ 60 लाख रुपए में खरीदा.
फोटो- इंस्टाग्राम
झारखंड के नक्सलवाद प्रभावित गुमला जिले के एक छोटे से गांव के एक आदिवासी परिवार का 21 वर्षीय लड़का रॉबिन मिंज आईपीएल की नीलामी के बाद अचानक से चर्चा में आ गया.
फोटो- इंस्टाग्राम
रॉबिन झारखंड का पहला आदिवासी प्लेयर है, जिसे इंटरनेशनल लेवल क्रिकेट लीग खेलने का मौका मिला है. रॉबिन पिछले सात सालों से रांची में रहकर क्रिकेट खेल रहा है.
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आइपीएल के पहले उसे रांची में भी गिने-चुने लोग ही जानते थे, लेकिन अब उसका नाम इस शहर-राज्य के क्रिकेट प्रेमियों की जुबां पर है.
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छह-सात साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहे रॉबिन के पिता फ्रांसिस जेवियर मिंज एक्स आर्मी मैन हैं, जो वर्तमान में रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर बतौर गार्ड तैनात हैं.
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रॉबिन का पूरा परिवार गुमला के रायडीह प्रखंड के एक छोटे से गांव सिलम पांदनटोली में रहता है.
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गांव में रहने वाले रॉबिन के भाई-भाभी और परिवार की माली हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके घर में एक अदद टीवी तक नहीं है.
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रॉबिन के भाई प्रकाश मिंज ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उसके भीतर बचपन से ही क्रिकेट को लेकर जुनून था. घर में मां चूल्हे में जो लकड़ियां जलाती थीं, उन्हें बुझाकर रॉबिन बैट बनाता था और क्रिकेट खेलने गांव के मैदान में चला जाता था.
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क्रिकेट की लगन देख पिता ने रॉबिन को लकड़ी का बैट थमाया था. बाद में वह उसे रांची ले गए, जहां उसने क्रिकेट कोचिंग ली.
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10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद रॉबिन ने खुद को पूरी तरह क्रिकेट को समर्पित कर दिया. इस साल की शुरुआत में जुलाई में मुंबई इंडियंस के यूके दौरे के लिए उसकी खोज की गई थी.