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अगले महीने होने वाले टी20 वर्ल्ड कप (T-20 World Cup) के लिए टीम इंडिया का चयन हो चुका है और जानकार और फैंस इसी बात पर बहस कर रहें है कि किसे टीम में चुना जाना चाहिए था और किसे नहीं होना चाहिए था. बहुत सारे आलोचकों को लगता है कि इस टीम में शिखर धवन और युजवेंद्र चहल को तो होना ही चाहिए था तो बहुत सारे लोगों को फॉर्म में चल रहे शार्दुल ठाकुर और दीपक चाहर जैसे खिलाड़ियों का ना होना काफी खल रहा है.
लेकिन, एक जो सबसे अहम बात ये है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है वो ये कि टेस्ट क्रिकेट में तमाम कामयाबी के बावजूद बीसीसीआई और मौजूदा चयन समिति कप्तान विराट कोहली के पर करतने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा है.
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी चेतन शर्मा जब से मुख्य चयनकर्ता बने हैं, तब से उन्होंने पहली बार प्रेस कांन्फ्रेस की, लेकिन पहली ही बातचीत में उन्होंने जता दिया कि वो एम एस के प्रसाद यानि कि पूर्व मुख्य चयनकर्ता की तरह टीम मैनेजमेंट की हर बात में हां में हां नहीं मिलाने वाले हैं. शायद शर्मा और उनके साथी इस बात से भी आहत हों कि किस तरह से कोहली और कोच रवि शास्त्री ने इंग्लैंड दौरे पर उनकी चुनी टीम के ओपनर और बल्लेबाजों को तवज्जो ना देकर कैसे पृथ्वी शॉ और सूर्यकुमार यादव को हर हाल में शामिल करने पर जिद ठान ली.
जो सबसे निर्णायक बात चेतन शर्मा ने कही वो ये कि वो चाहेंगे कि कोहली मिडिल ऑर्डर में ही बल्लेबाजी करें. आपको याद है ना कि कैसे कोहली ने इंग्लैंड के खिलाफ पिछली टी20 सीरीज के दौरान रोहित शर्मा के साथ ओपनर की भूमिका निभायी थी और यही काम वो वर्ल्ड कप में करने की इच्छा रखते थे. इसके लिए कोहली ने आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए भी पारी की शुरुआत करनी शुरू कर दी, लेकिन बहुत कामयाब नहीं हुए.
ऐसे में मुख्य चयनकर्ता का कप्तान को दो टूक शब्दों में ये कहना कि भले ही आप दुनिया के सर्वश्रैष्ठ बल्लेबाज हों ,लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कप्तान होने के चलते आप जब जाहें जैसे चाहें अपना बल्लेबाजी क्रम तय कर सकते हों. खासकर ये देखते हुए कि टीम में ईशान किशन के तौर पर एक आक्रामक विकल्प है और साथ ही के एल राहुल के तरफ हरफनमौला खिलाड़ी जो पंजाब किंग्स के लिए आईपीएल में खासे कामयाब रहें हैं.
इतना ही नहीं चेतन शर्मा और उनके साथियों ने दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रण अश्विन को मुद्दत बाद सफेद गेंद की क्रिकेट में वापस बुलाया और वो भी खासतौर पर वर्ल्ड कप से जैसे अहम टूर्नामेंट के लिए.
कोहली को ये बात खासतौर पर चुभी होगी कि क्योंकि उन्होंने कुछ महीने ही अश्विन के सवाल पर सार्वजनिक तौर पर ये बयान दिया था कि चेन्नई के स्पिनर का टी20 में वापसी बिल्कुल मुमकिन नहीं है. खासकर तब तक जब तक कि वाशिंगटन सुंदर हैं. अब सुंदर तो अनफिट हैं लेकिन चयनकर्ताओं ने चहल को ना चुनकर अश्विन को अहमियत.
कहीं ना कहीं चयनकर्ताओं ने कोहली को ये कहने से कोताही नहीं बरती है कि भले ही वो टेस्ट क्रिकेट में झंडा गाड़ रहें हों, लेकिन सफेद गेंद की क्रिकेट में भारत तो दूर की बात वो आईपीएल में भी एक ट्रॉफी नहीं जीत पायें है.
चूंकि, अगले दो सालों में 3 वर्ल्ड कप खेले जाने हैं, चयनकर्ता अब कप्तान के तौर पर बदलाव के लिए भी शायद कोहली और टीम इंडिया को तैयार कर रहे हों. और यही वजह है कि रोहित शर्मा की मुंबई इंडियंस के एक या दो नहीं बल्कि 6 खिलाड़ी टीम में शामिल हैं. हर कोई मैच विनर है और ऐसा लगता है कि टीम इंडिया ना होकर मुंबई इंडियंस की प्लेइंग इलेवन ही हर मैच में खेलेगी!
कुल मिलाकर देखा जाए तो एक लंबे समय के बाद बीसीसीआई की चयनसमिति ने कोच और कप्तान की सोच के विपरीत एक ऐसी टीम चुनी है जिसे उनकी टीम कहा जा सकता है. निश्चित तौर पर ये कहा जा सकता है कि चयनकर्ता ये कदम तब तक नहीं उठा पाते जब तक कि उन्हें बीसीसआई के आला अधिकारियों का साथ नहीं मिला होता.
यानि एख बात तो साफ दिख रही है कि कप्तानी के मामले में आने वाले कुछ समय में बड़े बदलाव भी देखे जा सकते हैं अगर कोहली एख बार फिर से ग्लोबल ट्रॉफी जीतने से चूके.
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