Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Cricket Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Happy B’day Kapil: टनब्रिज में कपिल देव के जादू से बदल गया क्रिकेट

Happy B’day Kapil: टनब्रिज में कपिल देव के जादू से बदल गया क्रिकेट

भारत को पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले पूर्व कप्तान कपिल देव का आज जन्मदिन.

संदीप पाटिल
क्रिकेट
Updated:
एक वक्त भारत का स्कोर 17/5 था, लेकिन कपिल की पारी की मदद से भारत ने 266 रन बनाए.
i
एक वक्त भारत का स्कोर 17/5 था, लेकिन कपिल की पारी की मदद से भारत ने 266 रन बनाए.
(फोटोः ट्विटर)

advertisement

कपिल देव एक ऐसे खिलाड़ी थे, जिनमें हर वक्त जीतने का जज्बा उफान मारता था. बॉलिंग हो, फील्डिंग या फिर बैटिंग, वो बुरे से बुरे हालात को अपने खेल से बदलने का माद्दा रखते थे. 1983 वर्ल्ड कप के लिए हमारी टीम वन मैन आर्मी नहीं थी, बल्कि माउंट एवरेस्ट तक को जीत लेने के जोश से भरी 14 खिलाड़ियों की सेना थी.

लॉर्ड्स के मैदान में हुए फाइनल तक के सफर में कई खिलाड़ियों ने अपना-अपना जौहर दिखाया. इनमें टनब्रिज वेल्स में कपिल देव की यादगार 175 रनों की पारी को क्रिकेट इतिहास की महानतम पारी कहा जा सकता है.

जिम्बाब्वे की टीम को कमजोर आंका जा रहा था, लेकिन टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा. टूर्नामेंट में हमारा दूसरा मैच उनके साथ था. ये मैच हमारे लिए प्वाइंट्स टेबल में अपनी स्थिति बेहतर बनाने का मौका था, जो सेमीफाइनल के लिए हमारा सफर आसान बनाता.

मैच से पहले चर्चा हुई कि बैटिंग करके रनों का पहाड़ खड़ा किया जाए और रन रेट बेहतर बनाया जाए. लेकिन अंत में सिर्फ मैच जीतने भर का फैसला किया गया.

कप्तान कपिल देव (बाएं) 1983 वर्ल्ड कप में भारत की जीत का जश्न मनाते हुए. (फोटो: संदीप पाटिल)

टीम उत्साहित थी. श्रीकांत और सुनील गावस्कर ने पारी की शुरुआत की. उनके बाद बैटिंग के लिए मोहिंदर, यशपाल और फिर मेरी बारी थी.

शायद कपिल ने सोचा कि उनकी बैटिंग काफी देर बाद आएगी, लिहाजा वो नहाने चले गए. लेकिन हुआ कुछ और ही. हमारे ओपनर्स जल्द ही निपट गए और फिर मोहिंदर भी आउट हो गए. ये सबकुछ इतनी तेजी से हुआ कि जल्द ही क्रीज पर यशपाल और मैं खड़े थे.

कपिल से आंखें नहीं मिला सका

सुनील वाल्सन भागते हुए हमारे पास आए और बताया कि कपिल अभी तक नहा रहे हैं. मेरे बाद उनकी बैटिंग थी. पीटर रॉसन की एक बॉल को ऑनसाइड पर फ्लिक करने के चक्कर में मैं भी आउट हो गया. कुछ ही पलों में भारत का स्कोर 17/5 पर पहुंच चुका था!

ऐसे हालात में कपिल को ड्रेसिंग रुम में दूसरे खिलाड़ियों की मदद से बैटिंग के लिए तैयार होना पड़ा. जब मैं आउट होकर पवेलियन लौट रहा था, तो वो बेहद हैरान दिखे. वो पहली बार था, जब मैं कपिल से आंखें नहीं मिला पा रहा था.

मुझे याद है कि टनब्रिज वेल्स का ड्रेसिंग रुम बेसमेंट में था. जब मैं ड्रेसिंग रुम में पहुंचा, तो उस वक्त सुनील, मोहिंदर, यशपाल और श्रीकांत गुमसुम बैठे हुए थे. उनके चेहरे भावहीन थे.

शायद ड्रेसिंग रुम में वो मेरी जिंदगी का सबसे कड़वा अनुभव था.

हम मैच देखने के लिए ऊपर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे. हम दुनिया की नजरों से छिप जाना चाहते थे. करीब 20 मिनट बाद हमें दर्शकों का जोरदार शोर सुनाई दिया, जो हर पांच मिनट के अंतराल पर हमारे कानों तक पहुंचता रहा.

कहीं एक और विकेट तो नहीं गिरा? चौका लगा या छक्का? हमें कुछ भी मालूम नहीं था. ऊपर जाकर मैच का हाल देखने की हिम्मत किसी में नहीं थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मैदान पर हो रहा था चमत्कार

दर्शकों का शोर बढ़ता जा रहा था और हम पांच ड्रेसिंग रुम में बैठे एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे. आखिरकार श्रीकांत उठे और मैच देखने के लिए ऊपर गए. उसके पीछे-पीछे हम सभी हो लिये. इसके बाद हमने जो देखा, वो चमत्कार से कम नहीं था. हमें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो पा रहा था.

ये जादूगर और कोई नहीं, हमारे कप्तान कपिल देव थे. उन्होंने पारी को सुधारने का बीड़ा पूरी तरह उठा लिया था. रोजर बिन्नी, सैय्यद किरमानी और मदन लाल ने उन्हें अच्छा सहयोग दिया. देखते-देखते स्कोरबोर्ड 17/5 से 100 के पार पहुंच गया.

मैदान पर सिर्फ कपिल का जलवा छाया हुआ था. क्रिकेट के इतिहास में इतनी बेहतरीन पारी कभी नहीं खेली गई थी. एक कहावत मेरी आंखों के सामने चरितार्थ होते दिख रही थी – धीमे और लगातार चलने वाला ही रेस जीतता है.

कप्तान कपिल देव (बाएं) उपकप्तान मोहिन्दर ‘जिमी’ अमरनाथ के साथ 1983 वर्ल्ड कप में भारत की जीत का जश्न मनाते हुए. (फोटो: संदीप पाटिल)

क्रीज पर जमने के लिए उन्होंने थोड़ा वक्त लिया. वो चौकन्ने थे, लेकिन हालात पूरी तरह उनके काबू में था.

उस मैच में कपिल के 175 रन इस बात का जीता-जागता उदाहरण थे कि खुद पर काबू रखते हुए आक्रामकता कैसे दिखाई जा सकती है. पारी को रफ्तार देने का इससे बेहतरीन उदाहरण कुछ नहीं हो सकता था.

दुर्भाग्य था कि इंग्लैंड में औद्योगिक विवाद के कारण बीबीसी ने उस मैच को टीवी पर नहीं दिखाया. लेकिन जो लोग मैदान में मौजूद थे और जिन्हें उस मैच को देखने का मौका मिला, उनके लिए वो यादगार मैच था. वो मैच उनकी आंखों के रास्ते हमेशा के लिए उनके दिल में समा चुका था.

ये चमत्कार कपिल जैसा असली चैम्पियन ही दिखा सकता था.

एक वक्त हम सब हताश थे, लेकिन अब ड्रेसिंग रूम में उत्साह से भरे थे और ड्रेसिंग रूम में अपने कप्तान की हौसला अफजाई कर रहे थे.

बदल गई भारतीय क्रिकेट की दशा

18 जून 1983 को जिम्बाबवे पर 31 रनों की उस जीत से ना सिर्फ सेमीफाइनल तक पहुंचने का रास्ता साफ हुआ, बल्कि हमारे अंदर ये आत्मविश्वास भी पैदा हुआ कि हम बुरी से बुरी हालत में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं.

कपिल की उस पारी ने पूरी टीम में विश्वास पैदा कर दिया था. हर किसी में जोश और उत्साह कूटकूटकर भर गया था. उस समय तक हम सिर्फ रेस में दौड़ रहे थे. उस मैच के बाद हममें रेस को जीतने का जज्बा पैदा हो गया था.

क्रिकेट सही टाइमिंग, भरोसे और आत्मविश्वास का खेल है और इन तीनों ही मोर्चों पर उत्साह से भरे हुए थे. ये कहना गलत नहीं होगा कि कपिल की उस पारी ने भारतीय क्रिकेट की दशा-दिशा बदल दी थी.

वर्ल्ड कप जीतने के बाद स्वर्गीय मैडम इन्दिरा गांधी ने कहा था, कि इस नारे पर उनका विश्वास और मजबूत हुआ है: “भारत समर्थ है.”

लेकिन हमारे लिए सिर्फ एक ही समर्थ व्यक्ति था: कपिल देव.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 06 Jan 2020,07:26 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT