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‘द्रविड़ ने सचिन-सौरव को 2007 T20 विश्व कप न खेलने के लिए मनाया था’

भारत ने वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को शिकस्त देकर खिताब अपने नाम कर लिया था

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भारत ने वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को शिकस्त देकर खिताब अपने नाम कर लिया था
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भारत ने वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को शिकस्त देकर खिताब अपने नाम कर लिया था
(फाइल फोटो: PTI) 

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क्रिकेट के फैंस के लिए 2007 का T20 वर्ल्ड कप बहुत खास है. T20 फॉर्मेट का वो पहला वर्ल्ड कप था और भारत ने उसमें अपने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को शिकस्त देकर खिताब अपने नाम कर लिया था. भारतीय टीम की कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी ने की थी. हालांकि इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम के तीन सबसे बड़े खिलाड़ी- सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ नहीं खेले थे. अब इसके पीछे की वजह भी सामने आ गई है.

इस टूर्नामेंट में रोहित शर्मा, रॉबिन उथप्पा, जोगिन्दर शर्मा जैसे यंग खिलाड़ियों को मौका दिया गया था. लेकिन तीनों दिग्गज खिलाड़ी टूर्नामेंट के लिए साउथ अफ्रीका नहीं गए थे.  

2007 में टीम के मैनेजर रहे लालचंद राजपूत ने इनके न खेलने की वजह का खुलासा किया है. स्पोर्ट्सकीड़ा क्रिकेट फेसबुक पेज पर बातचीत के दौरान राजपूत ने बताया कि राहुल द्रविड़ ने सचिन और सौरव को इस टूर्नामेंट में न खेलने के लिए राजी किया था.

हां, ये सच है कि राहुल द्रविड़ ने ही सचिन और सौरव से 2007 T20 वर्ल्ड कप नहीं खेलने को कहा था. इंग्लैंड दौरे के दौरान द्रविड़ कप्तान थे और कुछ खिलाड़ी वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड से सीधे जॉहनसबर्ग आ गए थे, तो उन्होंने कहा कि चलो यंगस्टर्स को मौका देते हैं. लेकिन वर्ल्ड कप जीतने के बाद वो पछता रहे होंगे. क्योंकि सचिन हमेशा मुझसे कहते थे कि मैं इतने सालों से खेल रहा हूं लेकिन वर्ल्ड कप नहीं जीता हूं. आखिरकार 2011 में वो जीते लेकिन वो वर्ल्ड कप जीतने को आतुर थे और इस टीम ने पहली कोशिश में ये कर दिखाया. 
लालचंद राजपूत
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'वर्ल्ड कप के दौरान सिद्धांत था- टेंशन लेने का नहीं, देने का'

लालचंद राजपूत ने याद किया कि कैसे धोनी की लीडरशिप में टीम ने टूर्नामेंट में जीत हासिल की थी. राजपूत ने कहा कि उस समय बड़ी चुनौती थी क्योंकि यंग टीम थी और और अनुभवी खिलाड़ी कुछ ही थे.

राजपूत ने कहा, "ड्रेसिंग रूम में माहौल अच्छा होना चाहिए. आपको खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना है और उन्हें दबाव में नहीं आने देना होता है. वर्ल्ड कप के दौरान हमारा सिद्धांत था- टेंशन लेने का नहीं, देने का. धोनी का इस सिद्धांत में विश्वास था कि लोग बाते करेंगे लेकिन हमें खुद पर विश्वास रखना है और बाकी चीजों पर ध्यान नहीं देना है."

'धोनी दो कदम आगे की सोचते हैं'

महेंद्र सिंह धोनी पर बात करते हुए लालचंद राजपूत ने कहा कि वो हमेशा दो कदम आगे की सोचते हैं. राजपूत ने कहा, "मुझे लगता है कि कप्तान के तौर पर धोनी, द्रविड़ और गांगुली का मिश्रण हैं. वो गांगुली की तरह अपने खिलाड़ियों में विश्वास जताते थे और द्रविड़ की तरह गेम के बारे में काफी सोचते थे."

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