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पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया पर वो 75 रन भारी पड़ेंगे जो ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाजों ने बनाए. पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम 251 रन पर 6 विकेट गंवा चुकी थी. इसके बाद भी उसके पुछल्ले बल्लेबाजों ने स्कोर को 326 रनों तक पहुंचा दिया. दरअसल, टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की किस्मत अजीब ही है. एक परेशानी का इलाज मिलता है तो दूसरी परेशानी सामने आ जाती है.
टेस्ट क्रिकेट में कई साल साल से भारतीय गेंदबाजी परेशानी थी. बल्लेबाज तो अपना काम करते थे लेकिन गेंदबाज विरोधी टीम के 20 विकेट नहीं ले पाते थे. पिछले दो-तीन साल से इस परेशानी का इलाज मिल गया. आज ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शामी, भुवनेश्वर कुमार और उमेश यादव जैसे गेंदबाज टीम में हैं. जो विरोधी टीम को लगातार परेशान करते हैं.
फिर ऑलराउंडर की परेशानी भी लंबे समय तक चली. हार्दिक पांड्या के आने से लगा कि वो परेशानी भी कुछ हद तक सुलझ गई है. हार्दिक पांड्या भले ही इस सीरीज में नहीं हैं, लेकिन वो जल्दी ही फिट होकर टीम में वापसी करेंगे. फील्डिंग की परेशानी भी काफी हद तक सुलझ गई है.
हालत ये है कि इन पुछल्ले बल्लेबाजों के स्कोर के चलते भारतीय टीम को कई ‘क्लोज’ मैचों में हार का सामना करना पड़ा. आज हालत ये है कि पुछल्ले बल्लेबाजों का दर्द टीम इंडिया के लिए नासूर बन गया है. ये आंकड़े देखिए जिसमें टीम इंडिया की हार की वजह विरोधी टीम के पुछल्ले बल्लेबाजों के बनाए रन हैं.
ये उन चार टेस्ट मैचों की कहानी है. यही परेशानी ऑस्ट्रेलिया में भी आ रही है. एडिलेड टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया की टीम पहली पारी में 127 रन पर 6 विकेट गंवाने के बाद 235 रन बनाने में कामयाब रही. पुछल्ले बल्लेबाजों ने 108 रन बनाए.
ऐसे ही दूसरी पारी में 156 रन पर 6 विकेट गंवाने के बाद कंगारुओं ने दूसरी पारी में 291 रन बनाए. इसमें पुछल्ले बल्लेबाजों के 135 रन थे. बहरहाल एडिलेड में भारतीय टीम को जीत मिली. पर्थ में उसके लिए रास्ता मुश्किल है.
ये सवाल विराट कोहली को बतौर कप्तान लगातार परेशान कर रहा है. दरअसल इस सवाल का जवाब सभी को मिलजुल कर खोजना होगा. अव्वल तो भारतीय गेंदबाजों को पुछल्ले बल्लेबाजों के खिलाफ भी अपनी गेंदबाजी में वो पैनापन बरकरार रखना होगा जो टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों के खिलाफ रहता है. इसके अलावा पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट करने की रणनीति भी स्पष्ट बनानी होगी.
गुडलेंथ, शॉर्टलेंथ हर तरह की गेंद फेंकी जाती है. वक्त की जरूरत के हिसाब से बाउंसर जैसे हथियारों का इस्तेमाल भी कम ही होता है. नतीजा ‘टेलएंडर्स’ अच्छे खासे रन जोड़ लेते हैं. अगर गेंदबाजों से इस तरह की गलती चौथी पारी में हो तो बात समझ आती है क्योंकि तब तक गेंदबाज थक चुके होते हैं. लेकिन पहली पारी में इस तरह की गलती की अनदेखी नहीं की जा सकती है.
बहरहाल पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया अभी ‘बैकफुट’ पर है. विराट कोहली को अपने गेंदबाजों से बात करनी होगी कि उन्हें विरोधी टीम के बल्लेबाजों को ऑलआउट करने के साथ साथ बल्ले से भी थोड़ा योगदान करना होगा. वरना आने वाले मैचों में ये कमजोरी और ज्यादा परेशान करेगी.
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