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टीम इंडिया के युवा क्रिकेटर पृथ्वी शॉ पर लगा दाग, जिम्मेदार कौन?

डोपिंग के इस मामले में लापरवाही का केस ज्यादा बड़ा है.

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डोपिंग के इस मामले में लापरवाही का केस ज्यादा बड़ा है.
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डोपिंग के इस मामले में लापरवाही का केस ज्यादा बड़ा है.
(फोटो: ICC)

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टीम इंडिया युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने के कारण 8 महीने के लिए बैन कर दिया गया है. दुखी मन से एक बयान में शॉ ने कहा, "ये इसलिए हुआ क्योंकि खांसी का सिरप पी लिया था, जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ मिला हुआ था. इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं थी." सवाल ये उठता है कि ये कैसे हो गया कि हमारा टॉप का क्रिकेटर अनजाने में बैन दवा पी गया. क्या उसे कोई नसीहत देने वाला नहीं था? क्या ऐसी लापरवाही इंडियन क्रिकेट के लिए भी खतरा नहीं है?

क्रिकेटरों के लिए क्या है ऐहतियात

नियम के मुताबिक, टीम के साथ रहते समय हर खिलाड़ी को एक डाइट चार्ट फॉलो करना होता है. साथ ही ट्रेनिंग प्रोसीजर भी फॉलो करना होता है. यही सब नियम घरेलू क्रिकेट खेलते समय भी होता है. बीसीसीआई की ओर से इन सबको लेकर अवेयरनेस के प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं. इसलिए सवाल उठना लाजमी है कि इन सबके बाबजूद एक खिलाड़ी प्रतिबंधित पदार्थ वाली चीज का सेवन कैसे कर लिया.

(फोटो: IANS)

फिजियो/ट्रेनर्स/डॉक्टर्स का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं गया?

फरवरी 2019 में शॉ ने खांसी का सिरप पिया था, उस वक्त वो मुंबई की तरफ से इंदौर में सैयद मुश्ताक अली ट्ऱॉफी के लिए क्रिकेट खेल रहे थे. शॉ उस वक्त ऑस्ट्रेलिया दौरे पर लगी अपने पैर की चोट से उबर रहे थे. उसी वक्त उनकी तबियत भी कुछ ढीली थी. खुद को स्वस्थ करने के लिए उन्होंने जल्दबाजी में गलती से दवाई पी ली.

अगर वो बीमार थे तो मुंबई टीम के फिजियो/ट्रेनर्स/डॉक्टर्स का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं गया? ऐसे में उनकी तरफ खास ध्यान रखा जाना चाहिए था क्योंकि वो नेशनल टीम की प्लानिंग का हिस्सा हैं.
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(फोटो: IANS)

गलती शॉ की भी है...

शॉ नेशनल क्रिकेट टीम का हिस्सा रह चुके हैं. इसलिए उन्हें इन सबसे जुड़े प्रोटोकॉल का खास ध्यान रखना चाहिए था. उन्हें बीसीसीआई या मुंबई टीम के डॉक्टर्स से सलाह लेनी चाहिए थी. क्योंकि प्रतिबंधित पदार्थ आमतौर पर खांसी की दवा में ही पाया जाता है.

बीसीसीआई की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी है. कोई भी खिलाड़ी इस पर कॉल करके सलाह ले सकता है. बीमार होने पर उन्हें बीसीसीआई/मुंबई क्रिकेट टीम को हर हाल में जानकारी देनी चाहिए थी. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने तुरंत बाजार से खरीदा हुआ सिरप पी लिया.

बीसीसीआई की ओर से जितना जरूरी खिलाड़ियों को जागरुक करना है, उतना ही जरूरी खिलाड़ियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए.

मैं पूरी गंभीरता से अपनी गलती स्वीकार करता हूं. मैं अभी भी चोट से जूझ रहा हूं जो मुझे पिछले टूर्नामेंट में लगी थी, ऐसे में इस खबर ने मुझे परेशान कर दिया है. मुझे इसे मानना होगा और उम्मीद करता हूं इससे खेल जगत को इस बात की प्ररेणा मिलेगी कि भारत में हम खिलाड़ियों को किसी भी तरह की दवाई लेने के मामले में काफी सतर्क रहना होगा और प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
पृथ्वी शॉ, बल्लेबाज

15 सितंबर से ट्रेनिंग पर लौट सकते हैं शॉ

बीसीआई के एंटी डोपिंग टेस्टिंग प्रोग्राम के तहत 22 फरवरी 2019 को सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान शॉ का सैंपल लिया गया था. इस सैंपल में प्रतिबंधित पदार्थ ‘टर्ब्यूटालीन’ पाया गया. ये पदार्थ खेल में डोपिंग के खिलाफ काम करने वाली संस्था वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) द्वारा प्रतिबंधित है.

बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.10.2 के मुताबिक, शॉ को उनके ऊपर लगे प्रतिबंध का आधा हिस्सा गुजारना होगा, इसलिए उनका आठ महीने का प्रतिबंध 16 मार्च 2019 से शुरू होगा जो 15 नवंबर 2019 की रात में खत्म होगा.

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Published: 31 Jul 2019,07:33 PM IST

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