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सिडनी में कॉमनवनेल्थ बैंक सीरीज (2007-8) के ‘बेस्ट ऑफ थ्री’ का पहला फाइनल मैच. भारत और ऑस्ट्रेलिया आमने-सामने. पहले बल्लेबाजी कर रही बेहद मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम सिर्फ 239 रन बना सकी. ऑस्ट्रेलिया को उसके घर पर इतने कम स्कोर पर रोकना आसान नहीं था.
जल्दी ही भारत को 3 झटके लगे. स्थिति सही नहीं थी, लेकिन उम्मीदें थी क्योंकि सामने थे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर. सचिन ने उस मैच में बेहतरीन सेंचुरी लगाई और टीम इंडिया को फाइनल में जीत दिलाई. लेकिन उस दिन एक और मुंबईकर ने अपनी प्रतिभा की सबसे बड़ी झलक दिखाई. नाम था- रोहित शर्मा. रोहित गुरुनाथ शर्मा.
मुंबई में क्रिकेट की एबीसीडी सीखने वाले रोहित शर्मा का जन्म 30 अप्रैल 1987 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. रोहित शर्मा को टीम इंडिया में पहली बार मौका मिला 2007 में आयरलैंड के खिलाफ बेलफास्ट में. प्लेइंग इलेवन में रोहित को शामिल तो किया गया लेकिन बैटिंग का मौका नहीं मिला. अगले मैच में दक्षिण अफ्रीका के साथ भी सिर्फ 8 रन बना पाए.
कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में रोहित ने पहले फाइनल में 66 रन समेत कुल 235 रन बनाए थे. यहां से वो लगातार टीम का हिस्सा बने रहे. हालांकि, रोहित के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी रही , लेकिन टैलेंट से हर कोई वाकिफ था और वो ही उन्होंने दिखाया और कुछ जरूरी मौकों पर अर्धशतक भी लगाए.
रोहित शर्मा को अपने पहले शतक के लिए 3 साल तक का इंतजार करना पड़ा. लगातार मिडिल और लोअर मिडिल ऑर्डर में बैटिंग करने के कारण रोहित कभी भी बड़ा स्कोर नहीं बना सके.
रोहित का पहला शतक उनकी 45वीं वनडे इनिंग में आया. जिंबाब्वे के खिलाफ मई 2010 में रोहित ने 114 रन की पारी खेली. अगले ही मैच में श्रीलंका के खिलाफ एक बार फिर रोहित ने 101 रन बना डाले.
लेकिन इसके बाद रोहित का करियर ग्राफ लगातार गिरता रहा और नतीजा ये हुआ रोहित को 2011 के वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया. अपने घर में वर्ल्ड चैंपियन बनने का मौका रोहित ने गंवा दिया. रोहित को अगले शतक के लिए भी साढे 3 साल इंतजार करना पड़ा.
2011 में रोहित को IPL टीम मुंबई इंडियंस ने खरीद लिया और 2013 सीजन में उनको कप्तानी भी मिल गई. ये सिर्फ रोहित ही नहीं, बल्कि मुंबई इंडियंस के लिए भी वरदान साबित हुआ.
रोहित की कप्तानी में मुंबई ने पहली बार IPL का खिताब जीता. इसी साल रोहित की कप्तानी में एक बार मुंबई ने चैंपियंस लीग टी-20 भी अपने नाम कर लिया. IPL में रोहित का प्रदर्शन टीम इंडिया में उनकी जगह पक्की करने में में मददगार साबित हुआ.
2013 में इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी ने रोहित शर्मा के करियर को ही बदल दिया. या कहें कि उनके करियर को नया मोड़ मिल गया. रोहित को शिखर धवन के साथ पारी की शुरुआत के लिए भेजा गया. रोहित और धवन ने मिलकर एक नई पार्टनरशिप शुरू की और आज दोनों दुनिया के सबसे सफल ओपनिंग पार्टनर्स में से हैं.
चैंपियंस ट्रॉफी में मिली नई जिम्मेदारी ने रोहित के खेल को बदल दिया और रोहित को दुनिया के सबसे खतरनाक वनडे बैट्समैन में से एक बना दिया. इसके बाद से रोहित ने अभी तक 20 शतक लगा दिए हैं. इसी दौरान रोहित ने ऐसा रिकॉर्ड भी बनाया जो किसी भी बैट्समैन के लिए बहुत मुश्किल है. रोहित ने 3 दोहरे शतक भी बना डाले.
वन डे क्रिकेट में दोहरे शतक- वन डे क्रिकेट में अभी तक 8 दोहरे शतक लगे हैं. पहला 2010 में सचिन तेंदुलकर ने लगाया था और आखिरी 2018 में पाकिस्तान के फखर जमान ने.
वनडे में रोहित का रिकॉर्ड किसी भी सुपरस्टार से कम नहीं है.
रोहित शर्मा के टेस्ट करियर की शुरुआत बहुत देरी से हुई. नवंबर 2013 में वेस्टइंडीज के साथ घरेलू सीरीज में रोहित को मौका मिला था. ये वही सीरीज थी जिसमें सचिन ने संन्यास लिया था.
ऐसी शुरुआत के बावजूद रोहित का टेस्ट करियर निरंतरता की कमी से जूझता रहा है. रोहित को अभी तक टेस्ट में वो सफलता नहीं मिली है, जो उनको छोटे फॉर्मेंट्स में मिली है.
रोहित इस साल इंग्लैंड-वेल्स में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का अहम हिस्सा हैं. रोहित टीम के उपकप्तान भी हैं. इससे पहले रोहित ने 2015 में ही पहली बार वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया था. उसमें वो भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर थे.
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