Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Sports Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Cricket Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019“शुभमन गिल के अंदर रनों की भूख, बचपन से ही निडर हो कर खेलना सीखा”

“शुभमन गिल के अंदर रनों की भूख, बचपन से ही निडर हो कर खेलना सीखा”

शुभमन गिल की 91 रनों की पारी के सहारे भारत ने आखिरी टेस्ट मैच में आस्ट्रेलिया को हराकर 2-1 से सीरीज जीत ली.

क्विंट हिंदी
क्रिकेट
Published:
(फोटो: ट्विटर/शुभमन गिल)
i
null
(फोटो: ट्विटर/शुभमन गिल)

advertisement

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल (Shubhman Gill) की तारीफ करते हुए कहा है कि निडर होकर खेलना इस युवा बल्लेबाज की ताकत है. गिल ने मंगलवार को ब्रिस्बेन (Brisbane Test Match) के गाबा मैदान पर आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट में 91 रनों की पारी खेली. उनकी इस पारी के सहारे भारत ने आस्ट्रेलिया को तीन विकेट से हराकर 2-1 से टेस्ट सीरीज जीत ली.

घावरी बचपन से ही गिल की प्रतिभा से अवगत थे. गिल जब छोटे थे तब घावरी ने सुखविंदर सिंह गिल से अपने बेटे को नेट्स पर भेजने का अनुरोध किया था और वादा किया था, कि इस बल्लेबाज को सभी तरह की सुविधाएं दी जाएगी.

गिल जब 10-11 साल के थे, तभी उन्होंने अंडर-19 तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरू कर दिया था. ये वे तेज गेंदबाज थे, जो अपने अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

घावरी ने IANS से कहा, “गिल ने खिलाड़ियों के साथ घुलना-मिलना शुरू कर दिया, उनके साथ भोजन किया. हम उन्हें हर रोज 30-40 मिनट तक बल्लेबाजी कराते थे. हम तेज गेंदबाजों से नई गेंदों के साथ उन्हें अभ्यास कराते थे. वह U-19 तेज गेंदबाजों को इतनी अच्छी तरह से खेल रहा था कि मैं हैरान था. मैंने सुशील कपूर (अकादमी के प्रशासनिक प्रबंधक और पीसीए के एक उच्च पदस्थ अधिकारी) को फोन किया और उनसे कहा कि वे लड़के की देखभाल करें और उसे U-14 में शामिल कर लें. वह सहमत गए. गिल को अंडर-14 में शामिल किया गया और वहां उन्हें खेलाया गया और उन्होंने स्कोर करना शुरू कर दिया.”

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कपूर कहते हैं कि गिल के अंदर छोटी उम्र से ही निडरता आनी शुरू हो गई थी और वह लगातार अपने से ज्यादा उम्र के गेंदबाजों का सामना कर रहे थे.

कपूर ने कहा, “अगर आपने गौर किया हो तो वह तेज गेंदबाजों को हमेशा सीधा खेलते हैं. वह पुल या हुक शॉट खेलने से नहीं डरते. आज (आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट में) वह कभी भी दूर नहीं हुए और उन्होंने गाबा की पिच पर पैट कमिंस एंड कंपनी के खिलाफ निडर होकर अपने शॉट्स खेले. यह साहस उन्हें अपने उन शुरुआती वर्षों के अभ्यास से आया है, जब वह सात-आठ साल की उम्र के गेंदबाजों का सामना कर रहे थे.”

गिल जब मोहाली अकादमी से बाहर निकले तब भी घावरी ने गिल पर नजर बनाए रखा.

कपूर ने कहा, “अकादमी छोड़ने के दो साल बाद, घावरी ने मुझे बेंगलुरु से फोन किया और मुझे शुभमन का ख्याल रखने को कहा. घावरी ने मुझसे कहा कि गिल बहुत प्रतिभाशाली हैं और उन्हें संवारने की जरूरत है. मैंने उन्हें बताया कि हम उन्हें अंडर-14 और अंडर-16 में खेला रहे हैं. वह शुभमन से बेहद प्रभावित थे.”

उन्होंने कहा, “शुभमन के अंदर रनों की भूख थी. मैंने उनके अंदर यह बात शुरू से ही देखा है. वह 50-60 रन से संतुष्ट नहीं होंगे और वह बड़े स्कोर के लिए जाएंगे.”

(IANS के इनपुट्स के साथ)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT