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क्या विराट कोहली (Virat Kohli) अगर कप्तान नहीं होते तो टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) के लिए प्लेइंग इलेवन में उनकी जगह नहीं बनती? ये सवाल सुनकर ही आप भड़क सकतें हैं अगर आप कोहली के कट्टर समर्थक हैं, जिसकी संख्या सोशल मीडिया में करोड़ों के आस-पास है.
लेकिन, अगर आप कोहली को नहीं भी पसंद करते हैं तब भी इस सवाल को लेकर आप थोड़ी भी गंभीरता नहीं दिखायेंगे. क्योंकि, कोहली तो मौजूदा दौर का महानतम बल्लेबाजों में से एक हैं और जब पूरी दुनिया उनकी वाहावाही करते नहीं थक रही है तो ऐसे में ये सोचा भी कैसे जा सकता है कि भारतीय कप्तान की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बनती है?
एकदम ताजा फॉर्म की बात की जाए तो कोहली ने सिंतबर-अक्टूबर में आईपीएल के यूएई चरण में अपनी फ्रैंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेले गये 8 मैचों में 2 अर्धशतक तक तो बनाये लेकिन इन दोनों पारियों के दौरान कोहली के धीमे खेल की आलोचना हुई. आलम ये रहा कि संजय मांजरेकर ने यहां तक कह डाला कि कोहली ने निजी अर्धशतक के चक्कर में अपनी टीम का नुकसान करा दिया.
मांजरेकर के कहने का मतलब था कि बैंगलोर के पास इतनी अच्छे बल्लेबाज थे कि अगर कोहली खुलकर खेलते हुए आउट हो भी जाते तो टीम की नैय्या पार हो जाती. खैर, उन दो अर्धशतक को छोड़ भी दिया जाए तो बचे हुए 6 मैचों में कोहली के बल्ले से निकले सिर्फ 153 रन.
कोहली के लिए ये समस्या उतनी बड़ी परेशानी नहीं होती अगर टीम इंडिया के लिए ओपनिंग की जिम्मेदारी रोहित शर्मा और के एल राहुल की जोड़ी नहीं करती. क्योंकि कोहली की ही तरह ये दोनों बल्लेबाज पावर-प्ले ओवर्स यानी की पहले 6 ओवर में धूम-धड़ाके वाली बल्लेबाजी नहीं करते हैं जो बायें हाथ के ईशान किशन करते हैं. किशन का टी20 मैचों में स्ट्राइक रेट करीब 140 का है और पावर-प्ले के दौरान वो अमूमन हर चौथी गेंद पर चौका मारते हैं जबकि कोहली या राहुल करीब हर छठी गेंद पर.
ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि बायें हाथ के धुरंधर किशन को हर हाल में टॉप ऑर्डर में खेलना ही चाहिए ताकि तेज शुरुआत मिले. और अगर उन्हें ओपनिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता है तो कम से कम तीसरे नंबर पर तो बल्लेबाजी जरूर करने देना चाहिए.
लेकिन, तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी का एकाधिकार तो कप्तान कोहली के पास है और अगर वो खिसककर चौथे नंबर पर जातें हैं तो वो भी टीम के साथ-साथ कोहली के लिए भी समस्या हो जायेगी, क्योंकि अगर उस पोजिशन पर कोहली का रिकॉर्ड यानी कि स्ट्राइक रेट उनका करीब 106 का हो जाता है. यानी स्पिनर्स के खिलाफ वो जूझते दिखाई देते हैं. ऐसे में अगर कोहली 4 नंबर पर बल्लेबाजी के लिए तैयार भी होते हैं तो सूर्यकुमार यादव की जगह नहीं बनेगी जो इस नंबर पर बेहद खतरनाक खिलाड़ी हैं.
ऐसे में कप्तान करें भी तो क्या करे. अब भारत का कप्तान इंग्लैंड के कप्तान ऑयन मार्गन की तरह भी तो नहीं कह सकता है कि हां, अगर टीम को जरूरत महसूस हुई तो मुझे भी ड्रॉप किया जा सकता है. विदेशी खिलाड़ी सिर्फ ऐसा कहने के लिए ही नहीं कहते हैं.
हमने देखा है कि कैसे आईपीएल के दौरान कुमार संगाकारा और डेनियल वेटोरी जैसे खिलाड़ियों ने संघर्ष के दौर में कप्तान होने के बावजूद खुद को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया. भारतीय क्रिकेट इतना परिपक्व फिलहाल नहीं हुआ है कि वो कोहली जैसे कप्तान को प्लेइंग इलेवन से बाहर करने का क्रांतिकारी फैसला ले. लेकिन, अगर आप इतिहास पर नजर दौड़ायेंगे तो पायेंगे कि भारत ने जो पहला टी20 वर्ल्ड कप 2007 में जीता था वो युवा जोश के दम पर ही आया था, तो चयनकर्ताओं ने सचिन तेंदुलकर-सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिगग्जों को आराम देने के तर्क पर टीम में ही शामिल नहीं किया था!
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