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भारतीय दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन(Ravichandran Ashwin) ने खुलासा किया है कि 2018 में उन्होंने संन्यास (Retirement) लेने के बारे में पूरा मन बना लिया था. उन्होंने कहा है कि मैं छह गेंदें फेंकता था और फिर मैं सांस के लिए हांफता था. अश्विन ने बताया कि उन्होंने अपनी गेंदबाजी की तकनीक में बदलाव किया, जिसके बाद उन्हें अच्छी सफलता मिलने लगी.
ईएसपीएन क्रिकइन्फो को दिए गए एक इंटरव्यू में अश्विन ने कहा, " 2018 और 2020 के बीच, मैंने कई चीजों को देखते हुए खेल को छोड़ने पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया था. मैंने सोचा कि मैंने बहुत कोशिश की है, लेकिन नतीजे नहीं आ पा रहे थे. मैंने जितनी कोशिश करता, लगता कि चीजें उतनी ही मुझसे दूर जा रही हैं.मैं छह गेंदें फेंकता था और फिर थक जाता था और हर जगह दर्द होता था.
अश्विन ने आगे कहा, " जब घुटनों में तेज दर्द होता था,तो मैं कम जंप करता था,इसलिए मुझे गेंद फेकने के लिए सारा जोर मुझे पीठ और कंधे से लगाना पड़ता था.तीसरी गेंद फेंकते वक्त कूल्हों का उपयोग करने की कोशिश करने के लिए अतिरिक्त साइड-ऑन हो जाता. जैसे तैसे करके छह गेंद होती तब तक मैं थक जाता था फिर मुझे ब्रेक चाहिए".
अश्विन ने उस दौरान जो महसूस किया, उसे बंया करते हुए कहा, " मैंने संन्यास का विचार चोट और परिणामों को देखकर नहीं बनाया था लेकिन उस दौरान लोग मेरी चोट को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित नहीं रहते थे. तब मेरे पास ऐसे लोग नहीं थे, जिनसे मैं अपना दर्द बांट सकूं. मैंने महसूस किया कि बहुत से खिलाड़ियों को इस तरह की चोट के बाद टीम मैनेजमेंट या दूसरी जगहों से समर्थन मिलता है. लेकिन मैं नहीं जानता कि मेरे साथ ऐसा क्यों नहीं हुआ ? क्योंकि मैंने एक खिलाड़ी के नाते टीम के लिए कुछ कम योगदान नहीं दिया था. मैंने टीम के लिए काफी मैच जीते.
अश्विन ने कहा, "मैं इस बारे में सिर्फ अपनी पत्नी से बात करता था लेकिन मेरे पिताजी ने कहा था कि तू जरूर वाइट बॉल क्रिकेट में वापसी करेगा, मेरे मरने से पहले मैं तुझे एक बार फिर से टी20 क्रिकेट में खेलते देखना चाहता हूं." आपको बता दें, अश्विन अब साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में गेंदबाजी करते हुए नजर आएंगे.
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