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आखिरकार रविवार दोपहर को बीसीसीआई (BCCI) ने टीम इंडिया के नये कोच के लिए आवेदन भरने का फॉर्म और तारीख की घोषणा कर ही डाली. लेकिन, बोर्ड ने ये काम तब किया जब उन्हें राहुल द्रविड़ से ये भरोसा मिल गया कि वो इसके लिए अप्लाई जरूर करेंगे. अब आप खुद सोचिए कि दुनिया की कोई भी संस्था क्या भविष्य के किसी इम्प्लॉई से पहले रजामंदी लेकर इंटरव्यू करती है क्या? नहीं और बीसीसीआई भी नहीं करता लेकिन द्रविड़ तो द्रविड़ हैं, बिलकुल अनूठे और निराले.
A+100 अंक हासिल करने वाले कोच हैं द्रविड?
इस साल जुलाई में किसी तरह से मनाते हुए बोर्ड ने द्रविड़ को शिखर धवन की अगुवाई वाली टीम का कोच बनाकर श्रीलंका भेजा. ऐसा माना जाता है कि उस दौरे पर हर खिलाड़ी ने द्रविड़ के बारें में A+ क्या A+100 अंक दिये.
हालांकि, इसमें कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि पिछले कुछ सालों से हर उभरता हुआ भारतीय खिलाड़ी द्रविड़ सर का गुणगान करते थक नहीं रहा है. चाहे वो हार्दिक पंड्या हो या फिर मोहम्मद सिराज, चाहे वो श्रेयस अय्यर हों या फिर पृथ्वी शॉ, चाहे वो मयंक अग्रवाल हों या फिर लोकेश राहुल (लोकेश राहुल तो अपने में अनूठे केस हैं क्योंकि इनके पिता ने द्रविड़ के नाम पर ही उनका नाम तक रख डाला!)
हर किसी ने सार्वजनिक तौर पर ये माना है कि अंडर 19 या फिर इंडिया ए के कोच के तौर पर द्रविड़ ने कैसे उनके खेल में निखार लाया. वहीं दूसरी तरफ आप देख लें कि मौजूदा कोच रवि शास्त्री के बारे में तारीफ के दो बोल उनके खासे दोस्त और कप्तान विराट कोहली को छोड़कर किसी और ने नहीं कहे हैं. और अगर किसी ने प्रेस कॉन्फ्रेस में शास्त्री के योगदान पर सवाल पूछ लिया तो वो एक अलग बात है, लेकिन द्रविड़ जैसी वाहावाही बिना हेड कोच बने ही किसी भी भारतीय कोच ने हासिल नहीं की थी.
और शायद यही वजह है कि दुनिया भर के दिग्गजों ने भी बीसीसीआई की आधिकारिक घोषणा तक का इंतजार भी नहीं किया और द्रविड़ की नियुक्ति पर उन्हें बधाई तक देने लगे. इनमें टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल भी हैं और उनके शब्दों में द्रविड़ के प्रति सम्मान का भाव देखकर आप उनके पूरानी सारी शिकायतों को भूल जाएंगे!
एक स्वाभाविक सवाल हर किसी के जेहन में उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या बात है कि बीसीसीआई हर हाल में द्रविड़ को ही अगला कोच बनाने पर आमादा है? देखिये, द्रविड़ की असाधारण साख तो एक बड़ी वजह है ही लेकिन साथ ही एक दूसरी बड़ी वजह ये भी है कि बोर्ड के पास बहुत विकल्प भी ज्यादा नहीं हैं.
वो जमाना लद गया जब जॉन राइट से लेकर गैरी कर्स्टन और डंकन प्लैचर जैसे विदेशी दिग्गज टीम इंडिया की कोचिंग के लिए कुछ भी करने को तैयार दिखते थे. लेकिन, आज जमाना आईपीएल का है और रिकी पोटिंग, माहेला जयावर्देने और स्टीफन फ्लेमिंग( 4 बार आईपीएल ट्रॉफी जीतने वाले इकलौते कोच) जैसे बेहतरीन कोच टीम इंडिया के साथ पूरे साल भर का दबाव झेलने की बजाए 2 महीने की कोचिंग में ही खुश हो जाते हैं, क्योंकि कमाई कम नहीं है और नाम भी हो जाता है.
एक और अहम बात ये है कि आने वाले दो साल के दौरान भारतीय क्रिकेट में कप्तानी को लेकर काफी हलचल दिखने वाली है. विराट कोहली के बाद रोहित शर्मा टी20 की कप्तानी करेंगे और मुमकिन है कि वन-डे क्रिकेट की भी जिम्मेदारी उन्हें ही दी जाए. कोहली के पास टेस्ट कप्तानी रहेगी.
लाल गेंद और सफेद गेंद के हिसाब से टीम इंडिया में हर फॉर्मेट में खिलाड़ी भले ही बदलते रहेंगे लेकिन अगर द्रविड़ जैसा नियमित कोच टीम के साथ हो तो हालात कभी भी बिगडेंगे नहीं. ये बीसीसीआई की सबसे बड़ी हसरत है जो द्रविड़ ही इस वक्त पूरी करने की काबिलियत रखते हैं.
क्रिकेट के इतिहास में आज तक कोई ऐसा पूर्व खिलाड़ी जिसने 10 हजार से ज्यादा रन टेस्ट और वन-डे में बनाये हों , किसी राष्ट्रीय टीम के साथ कोच के तौर पर नहीं जुड़ा है. क्योंकि ऐसे दिग्गजों के लिए रिटायरमेंट के बाद कमाई का असली जरिया कामेंट्री बॉक्स होता, लेकिन द्रविड़ को दुनियादारी की नहीं बल्कि अपने देश के क्रिकेट की परवाह हमेशा से ही सबसे ज्यादा रही है और शायद इसलिए बीसीसीआई भी उन्हें हर हाल में टीम से जोड़ने के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार दिख रहा है.
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