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ढोल की थाप पर महिला खिलाड़ियों का स्वागत, सचिन तेंदुलकर तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए, विश्व विजेता बनने के बाद मैदान पर ट्रॉफी उठाए महिला खिलाड़ी, भारत में होने जा रहा महिला IPL और मीडिया में व्यापक कवरेज.
बीते कुछ हफ्तों से महिला क्रिकेट की ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं जिसको देखकर लगता है कि भारतीय महिला क्रिकेट में बड़े परिवर्तन आ रहे हैं. इस स्टोरी में इसी पर चर्चा करेंगे कि कैसे महिला क्रिकेट में छाया सन्नाटा बड़ी तेजी से खत्म हो रहा है.
कहानी की शुरुआत होती है 2020 से, अब तक ज्यादातर लोग महिला क्रिकेट के नाम पर मिताली राज और झूलन गोस्वामी के नाम ही जानते थे, लेकिन 2020 से तस्वीर बदलने लगी, जब भारत पहली बार T20 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा. फाइनल में इंग्लैंड से भारतीय टीम हार गई, लेकिन यहां से भारतीय महिला क्रिकेट की जीत शुरू हो गई थी.
यहां से पर्सेप्शन में तो बदलाव आने लगा लेकिन प्रदर्शन में थोड़ी कसर बाकी थी. 2022 ODI वर्ल्ड कप में भारतीय टीम 5वें नंबर पर रही, हालांकि इसी साल कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल अपने नाम करके और एशिया कप जीतकर महिला टीम सुर्खियों में आने लगी. इसी साल भारत ने पहली बार इंग्लैंड को इंंग्लैंड में ही 3-0 से हराया.
अब 2023 की शुरूआत ही भारतीय महिला क्रिकेट के लिए जबरदस्त रही है. जूनियर खिलाड़ियों ने साउथ अफ्रीका में हुआ महिला अंडर-19 विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया. इस जीत के साथ भारत के पास महिला क्रिकेट में पहली ICC ट्रॉफी आई.
इस टूर्नामेंट से कई खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानियां भी सामने आईं जिसने छोटे स्तर पर महिला क्रिकेटरों की समस्याओं को सामने रखा. ये कहानियां खूब चर्चा में भी रहीं. BCCI ने इनाम के तौर पर टीम को 5 करोड़ रुपये देने की घोषणा की. खुद सचिन तेंदुलकर, BCCI के तमाम बड़े अधिकारियों के साथ इन खिलाड़ियों का सम्मान करने पहुंचे.
अब भारत में पहली बार महिला आईपीएल होने जा रहा है. इसे लेकर फैंस में भी गजब का उत्साह है. इसके पहले ही एडिशन के ब्रोडकास्टिंग राइट्स 951 करोड़ में बिके. विमेन प्रीमियर लीग IPL के बाद दुनिया भर में दूसरा सबसे महंगा क्रिकेट लीग बन चुका है.
महिला क्रिकेट में बदलाव तो हो रहे हैं, पिछले साल BCCI ने एक बड़ी पहल करते हुए महिला और पुरुष क्रिकेटरों को बराबर मैच फीस देने का ऐलान किया था, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
पिछले एक साल में महिला टीम ने एक भी टेस्ट मैच नहीं खेला और पिछले 8 सालों में महिला खिलाड़ियों ने सिर्फ 2 टेस्ट मैच खेले. तो खिलाड़ियो को बराबर पैसा देकर क्या फायदा जब उन्हें ये हासिल करने के मौके ही नहीं दिए जाएंगे. इसके अलावा BCCI के सालाना कॉन्ट्रैक्ट में भी महिला और पुरुष क्रिकेटरों के असामनता की बीच गहरी खाई है. पुरूषों में ग्रेड A के खिलाड़ी को 7 करोड़ रुपये मिलते हैं जबकि ग्रेड A की महिला क्रिकेटर को सालाना सिर्फ 50 लाख रुपये मिलते हैं.
अब जब इतनी तेजी से इतने सारे बदलाव होंगे तो इस बात पर भी तो बात होनी चाहिए कि क्या ये महिला क्रिकेट के लिए गेम चेंजिंग टाईम चल रहा है. कुछ लोग तो इसे भारतीय महिला क्रिकेट का 83 मोमेंट लिख रहे हैं, लेकन क्या ये वास्तव में 83 मोमेंट है और नहीं तो क्या इसे कम से कम महिला क्रिकेट की उन्नति नहीं मान सकते? इसपर हमनें एक्सपर्ट्स की भी राय जानने की कोशिश की.
कमेंटेटर और पूर्व दिग्गज भारतीय महिला क्रिकेटर अंजुम चोपड़ा ने इसपर क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा,
ऊपर हमने बताया कि कैसे महिला टीम ने पिछले 8 सालों में सिर्फ 2 टेस्ट मैच खेले हैं. इसपर अंजुम चोपड़ा ने कहा कि "ये एक ऐसी चीज हैं जिसपर हमें निकट भविष्य में सुधार करना है, लेकिन ये ऐसा समय है जब हम देख रहे हैं कि वहाइट बॉल क्रिकेट महिला क्रिकेट के विस्तार में मदद कर रहा है. इससे धीरे-धीरे ज्यादा देश और ज्यादा क्रिकेट बोर्ड महिला क्रिकेट में निवेश करेंगे और फिर बड़े फॉर्मेट की तरफ भी देखेंगे."
तमाम सुधारों और प्रयासों के बावजूद एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है. क्रिकेट एक्सपर्ट चंद्रेश नारायण ने कहा कि, "हम महिला क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से आज भी 25-30 साल पीछे हैं, क्योंकि उनका निवेश और नजरिया महिला क्रिकेट को लेकर हमसे काफी आगे है, हालांकि महिला IPL से गति बढ़ेगी और जो फासला है वो 25-30 साल से 10-15 साल पे आ जाएगा."
सबकी राय भले ही अलग-अलग हो सकती है, लेकिन महिला क्रिकेट की किस्मत का ताला खोलने वाली चाबी असल में किसी के पास है तो वे दर्शक हैं. आज जो भी सुधार हो रहे हैं वो सभी इसीलिए संभव हो पाए क्योंकि दर्शकों ने महिलाओं के खेल में रूचि दिखानी शुरू की. अब IPL तो होगा ही लेकिन T20 विश्व कप भी है, जिसमें भारत के प्रदर्शन पर सबकी नजर होगी.
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Published: 08 Feb 2023,05:49 PM IST