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भारत का महिला प्रीमियर लीग (Women Premier League) अपने पहले सीजन में आधे से ज्यादा सफर तय कर चुका है. इस आधे सफर में ही हम 4 बार 200 रन से ज्यादा का स्कोर देख चुके हैं. चौकों और छक्कों की बरसात हो रही है. बाउंड्री भी छोटी है, कई बार तो ये बस 42 से 44 मीटर तक होती है. पिच भी बल्लेबाजी के अनुकूल है, यानी पूरा माहौल बल्लेबाजों के पक्ष में है. इसके बावजूद 3 गेंदबाज 5 विकेट हॉल पूरा कर चुके हैं.
कुल मिलाकर कहें तो ये IPL की तरह WPL में भी खिलाड़ी खूब चमक रहे हैं, लेकिन चूंकि ये भारत में किसी महिला लीग का पहला सीजन है तो हम विदेशों में चलने वाले 'महिला बिग बैश' और 'महिला द हंड्रेड' जैसे सफल लीग्स से तुलना करके देखते हैं कि अपना WPL प्रदर्शन के मामले में कहां खड़ा है.
WPL में सिर्फ 22 पारियों में 4 बार 200 रन से बड़े स्कोर बन गए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के महिला बिग बैश लीग में 8 सीजन और 922 पारियों में सिर्फ 4 बार 200 रन से बड़े स्कोर बने. यानी औसत लगभग 230 पारियों में सिर्फ एक बार ऐसा हो रहा है. इंग्लैड के द हंड्रेड में 2 सीजन और 117 पारियों के बाद सिर्फ 5 बार 160 रन से ज्यादा के स्कोर बन पाए. औसत देखें तो हर 23 पारी में एक बार.
द हंड्रेड और WBBL के मुकाबले WPL में चौके और छक्के लगाने की फ्रीक्वेंसी भी ज्यादा है. WPL में औसत हर 4.6 गेंद पर एक चौका लगा है (12 मार्च तक के मैच तक के आंकड़े), जबकि द हंड्रेड 2022 और WBBL 2022-23 में ये 6.1 और 7.2 था.
WPL में तेजी से रन बनने के पीछे कई कारण हैं. पहला, मैच सिर्फ 2 स्टेडियम डीवाई पाटिल और ब्रेबॉर्न में खेले जा रहे हैं. दोनों की पिच बल्लेबाजों के अनुकूल है. आउटफील्ड भी तेज है और बाउंड्री भी छोटी है. हालांकि यूपी वॉरियर की खिलाड़ी शबनिम इकबाल ने कहा कि बड़े स्कोर बनने के पीछे एक कारण ये भी है कि महिला क्रिकेट तरक्की कर रहा है.
तीसरा, गेंदबाजी में अनुभव की कमी के कारण भी खूब रन बन रहे हैं. कई बार अनुभवहीन भारतीय गेंदबाजी के सामने धाकड़ विदेशी बल्लेबाज खूब रन बटोर लेते हैं.
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